scorecardresearch
 

सरकार को नहीं मिल रहे BPCL के खरीदार, अब टुकड़ों में बिक्री का प्लान

सरकार को पहले बीपीसीएल की पूरी हिस्सेदारी बेचकर 8-10 बिलियन डॉलर मिलने की उम्मीद थी. सरकार ने 2020 में इसके लिए बोलियां मंगाई थी. तब उम्मीद की जा रही थी रूस की कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) भी इसे खरीदने में दिलचस्पी ले सकती है.

Advertisement
X
2 कंपनियों ने वापस ली बोली
2 कंपनियों ने वापस ली बोली
स्टोरी हाइलाइट्स
  • धीमा चल रहा विनिवेश का प्रोसेस
  • BPCL का भी विनिवेश अटका

विनिवेश (Disinvestment) के मोर्चे पर सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. पहले सरकार को एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) का साइज घटाना पड़ गया. अब बीपीसीएल का विनिवेश (BPCL Disinvestment) अधर में अटक गया है. बताया जा रहा है कि सरकार ने बीपीसीएल के लिए सिर्फ एक ही बिड आने के बाद विनिवेश की प्रक्रिया को टालने का निर्णय लिया है. अब बीपीसीएल की छोटी-छोटी हिस्सेदारी बेची जा सकती है.

Advertisement

अब बची थी सिर्फ वेदांता की बोली

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीपीसीएल के लिए तीन कंपनियों ने बोलियां लगाई थीं, लेकिन उनमें से दो ने फंड नहीं जुटा पाने का हवाला देकर बोली वापस ले ली. खबर में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि इसके बाद सरकार ने बीपीसीएल का विनिवेश रोकने का निर्णय लिया है. बकौल अधिकारी, 'सरकार ने आधिकारिक तौर पर बीपीसीएल के विनिवेश का प्रस्ताव वापस ले लिया है. पहले इसके लिए तीन कंपनियों ने बोली लगाई थी, पर अब सिर्फ वेदांता (Vedanta) ही बची थी.'

सरकार की अब ये योजना

इससे पहले रॉयटर्स की एक खबर में कहा गया था कि सरकार का विनिवेश कार्यक्रम उम्मीद से स्लो चल रहा है. रॉयटर्स ने दो अधिकारियों के हवाले से बताया कि सरकार पूरी कंपनी बेच पाने में असफलता हाथ लगने के बाद 25 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने पर गौर कर रही है. खबर के अनुसार, सरकार अब बीपीसीएल में अपनी 20-25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां मंगा सकती है. अभी बीपीसीएल में सरकार के पास 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है.

Advertisement

इतनी रकम मिलने की थी उम्मीद

सरकार को पहले बीपीसीएल की पूरी हिस्सेदारी बेचकर 8-10 बिलियन डॉलर मिलने की उम्मीद थी. सरकार ने 2020 में इसके लिए बोलियां मंगाई थी. तब उम्मीद की जा रही थी रूस की कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) भी इसे खरीदने में दिलचस्पी ले सकती है. हालांकि उस समय क्रूड की कम डिमांड के कारण न तो रोसनेफ्ट ने और न ही सऊदी अरामको (Saudi Aramco) ने बीपीसीएल को खरीदने में कोई दिलचस्पी दिखाई. आगे की योजना के बारे में अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि टुकड़ों में हिस्सेदारी बेचने का प्लान भी इस फाइनेंशियल ईयर में पूरा हो पाने की उम्मीद नहीं है.

 

Advertisement
Advertisement