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Grofers के फाउंडर का इस बात से ‘टूटा दिल’, ‘नफरत’ करने वालों को दिया जवाब

ऑनलाइन ग्रॉसरी कंपनी Grofers के फाउंडर और सीईओ अलबिंदर ढींढसा ने ट्विटर पर उनका ‘दिल टूटने’ की वजह बताई है. जानें क्या है पूरा मामला

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ऑनलाइन ग्रॉसरी कंपनी Grofers की 10 मिनट डिलीवरी (Representative Photo)
ऑनलाइन ग्रॉसरी कंपनी Grofers की 10 मिनट डिलीवरी (Representative Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ‘हर कंपनी गरीबों का शोषण नहीं करती’
  • ‘Grofers ऐसे करती है 10 मिनट में डिलीवरी’
  • ‘10 की स्पीड पर भी जाएं तो 15 मिनट में डिलीवरी’

ट्विटर पर अक्सर सेलिब्रिटी या कंपनियों की सर्विसेस ट्रोल हो जाती हैं. लेकिन इस बार ऐसी बात हुई जिससे ऑनलाइन ग्रॉसरी कंपनी Grofers के फाउंडर और सीईओ अलबिंदर ढींढसा का  दिल टूट गया. इसके बाद उन्होंने उनका दिल तोड़ने वाले शख्स को जवाब भी दिया. 

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Grofers की 10 मिनट डिलीवरी

Grofers ने लगभग दो महीने पहले ‘10 मिनट ग्रॉसरी डिलीवरी’ सर्विस शुरू की. कंपनी की इसी सर्विस को लेकर कुछ ट्विटर यूजर ने ‘चिढ़ने’ वाले ट्वीट किए. इसका जवाब देते हुए ढींढसा ने समझाया कि कंपनी कैसे 10 मिनट के अंदर ग्रॉसरी की डिलीवरी कैसे सफलतापूर्वक करती है.

‘नफरत’ करने वालों को अलबिंदर का जवाब

अलबिंदर ढींढसा ने लिखा 10 मिनट में डिलीवरी करने के लिए हमें लोगों से जो ‘नफरत’ मिल रही है, आज वो इसके बारे में समझाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कंपनी ने ऐसे स्टोर्स को अपना पार्टनर बनाया है जो उनके ग्राहक की लोकेशन से मात्र दो किलोमीटर के दायरे में है. दिल्ली में कंपनी के पास ऐसे 60+ और गुड़गांव में 30+ स्टोर पहले से हैं. 

10 kmph की स्पीड पर भी 15 मिनट में डिलीवरी

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ढींढसा ने कहा कि उनके ये पार्टनर स्टोर इतनी घनी आबादी के बीच हैं कि यदि कंपनी के डिलीवरी राइडर्स 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भी बाइक चलाएं तो भी 90% ऑर्डर सिर्फ 15 मिनट में डिलीवर हो जाएं. वहीं कंपनी की इन-स्टोर प्लानिंग और टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस है कि उनके अधिकतर ऑर्डर मात्र 2.5 मिनट में पैक हो जाते हैं.

‘हर कंपनी गरीबों का शोषण नहीं करती’

Grofers के सीईओ ने कहा कि उनके डिलीवरी राइडर्स को तेज डिलीवरी के लिए कोई इंसेंटिव अलग से नहीं दिया जाता, और पिछले दो महीने में जब से ये सर्विस शुरू हुई है कंपनी के किसी भी राइडर का एक्सीडेंट रिपोर्ट नहीं दिया हुआ.

उन्होंने कहा कि हर कंपनी गरीबों का उत्पीड़न करके नहीं बनती. कुछ कंपनियां हैं जो बड़े स्तर पर रोज़गार जेनरेट करती हैं और सभी स्टेक होल्डर्स के लाइफ में वैल्यू जोड़ती हैं. हम उन्हीं में से एक कंपनी बने रहना चाहते हैं.

इंडियन स्टार्टअप के इनोवेशन से ‘नफरत’ ने तोड़ा दिल

अलबिंदर ढींढसा ने कहा कि किसी इंडियन स्टार्टअप के इनोवेशन को सेलिब्रेट करने के बजाय यूं नफरत करने की वजह से ‘उनका दिल टूट गया है’. हम में से कुछ लोग अब भी उनसे नफरत करते हैं जो यथास्थिति को तोड़ने का काम करते हैं. हमें और ज्यादा ऐसे लोगों की जरूरत है जो दम भरें, हिम्मत करें और ऐसी सोच को नीचे लाएं.

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