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GST मुआवजे पर अलग-थलग दिख रहे विपक्षी राज्य, 21 राज्यों ने चुना विकल्प नंबर एक 

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे को लेकर 21 राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा दिये गये पहले विकल्प यानी 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. विपक्षी राज्यों ने अभी तक केंद्र का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया है. 

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GST पर केंद्र ने दिये थे दो विकल्प
GST पर केंद्र ने दिये थे दो विकल्प
स्टोरी हाइलाइट्स
  • GST मुआवजे को लेकर केंद्र-राज्यों में ठन गई थी
  • केंद्र सरकार ने इसके लिए दो विकल्प दिये थे
  • अब 21 राज्यों ने केंद्र सरकार की बात मान ली है

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे को लेकर चल रहे विवाद में विपक्षी राज्य अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं. 21 राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा दिये गये पहले विकल्प यानी 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. विपक्षी राज्यों ने अभी तक केंद्र का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया है. 

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क्या हैं दो विकल्प 

गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की इस महीने हुई 41वीं बैठक में मुआवजे को लेकर राज्यों को केंद्र ने दो विकल्प दिये थे. राज्यों से कहा गया था कि वे एक हफ्ते के भीतर अपनी राय दें, लेकिन अभी तक सभी राज्यों ने अपनी सहमति नहीं दी है. 

पहला विकल्प 

पहले विकल्प के तहत राज्यों से यह कहा गया था कि सिर्फ जीएसटी की वजह से उन्हें अब तक करीब 97,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. इसलिए वे इतनी रकम वित्त मंत्रालय के मागदर्शन में उपलब्ध एक खास सुविधा के तहत कर्ज ले लें. इसके तहत उन्हें उसी तरह हर दो महीने पर रकम मिलेगी, जैसा कि अभी तक मुआवजा दिया जाता रहा है. 

दूसरा विकल्प 

दूसरा विकल्प यह है कि राज्य पूरे जीएसटी राजस्व नुकसान (जिसमें कोरोना की वजह से हुआ नुकसान भी शामिल है) को उधार लें जो कि करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये का होता है. इसके लिए भी रिजर्व बैंक की मदद से खास विंडो यानी सुविधा की ​व्यवस्था की जाएगी. 

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किन राज्यों ने चुना है पहला विकल्प 

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया कि आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, पुडुच्चेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले विकल्प पर मुहर लगा दी है. मणिपुर ने पहले दूसरे विकल्प को चुना था, लेकिन बाद में उसने भी बदलाव करते हुए पहले विकल्प को चुन लिया. 

सूत्रों ने बताया कि एक-दो दिन में बाकी राज्य भी अपने विकल्प के बारे में वित्त मंत्रालय को बता सकते हैं. लेकिन विपक्ष सहित कई राज्य इस मामले में मुश्किल में दिख रहे हैं. विपक्ष शासित राज्य पहले दिन से ही सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, लेकिन अब जीएसटी काउंसिल का बहुमत केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार करता दिख रहा है, ऐसे में उनके लिए काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है. झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने अभी तक जीएसटी काउंसिल के प्रस्तावों का कोई जवाब नहीं दिया है. 

क्यों दिया जाता है मुआवजा 

नियम के मुताबिक जीएसटी से राज्यों को राजस्व के नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करती है. आधार वर्ष 2015-16 को मानते हुए यह तय किया गया कि राज्यों के इस प्रोटेक्टेड रेवेन्यू में हर साल 14 फीसदी की बढ़त को मानते हुए गणना की जाएगी. जीएसटी को जुलाई 2017 में लागू किया गया था. जीएसटी कानून के तहत राज्यों को इस बात की पूरी गारंटी दी गई थी कि पहले पांच साल तक उन्हें होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान की भरपाई की जाएगी. यानी राज्यों को जुलाई 2022 तक किसी भी तरह के राजस्व नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाएगा. 

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