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GST council meeting: कई लाइफसेविंग दवाएं जीएसटी मुक्त, पेट्रोल-डीजल पर हुआ ये फैसला

वस्तु एवं सेवा कर काउंसिल (GST council meeting) की अहम बैठक में आज पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में रखने के मामले में यह सहमति बनी कि अभी इसका समय नहीं आया है. कई महंगी लाइफ सेविंग दवाओं को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी जानकारी (फाइल फोटो)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी जानकारी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लखनऊ में हुई GST काउंसिल की बैठक
  • कई जरूरी दवाएं जीएसटी मुक्त

वस्तु एवं सेवा कर काउंसिल की आज हुई अहम बैठक (GST council meeting) में पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी में शामिल होने पर विचार किया गया, लेकिन इस पर सहमति बनी कि अभी इसका समय नहीं आया है. कई महंगी लाइफ सेविंग दवाओं को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है. इनमें दो काफी महंगी दवाएं (Zolgensma, Viltepso) हैं. 

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फूड डिलिवरी ऐप से खाना मंगाने पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की आशंका खत्म हो गई है और काउंसिल ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया. कैंसर संबंधी कई दवाओं पर जीएसटी 12 से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है. Remdesivir पर सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी लगेगा. कोरोना की दवा को 31 दिसंबर 2021 तक जीएसटी से छूट मिलती रहेगी. माल वाहनों के नेशनल परमिट फीस को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आज जीएसटी काउंसिल की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी दी. बैठक में यह तय हुआ कि बायोडीजल पर जीएसटी घटाकर 12 से 5 फीसदी किया जाए. 

क्या हुआ पेट्रोल-डीजल पर 

वित्त मंत्री ने कहा कि केरल हाईकोर्ट के आदेश की वजह से ही पेट्रोल-डीजल पर विचार हुआ, लेकिन इस पर आमराय बनी कि अभी इसका समय नहीं आया है. यानी अभी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल नहीं किया जा सकता. 

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गौरतलब है कि इस साल जून में केरल हाईकोर्ट ने जीएसटी काउंसिल को यह आदेश दिया था कि वह पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करे. काउंसिल को इसके लिए 6 माह का समय दिया गया. लेकिन इस प्रस्ताव का राज्य ही विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनके राजस्व को भी इससे भारी नुकसान पहुंचने वाला है. कोरोना संकट में राजस्व को पहले ही चोट है, इसी वजह से कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही इस प्रस्ताव का विरोध किया है. 

क्या हुआ फूड डिलिवरी ऐप का 

वित्त मंत्री ने कहा कि फूड डिलिवरी ऐप से खाना मंगाने पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की कोई बात नहीं हुई और योजना के अनुसार ये ऐप वही टैक्स वसूलेंगे जो रेस्टोरेंट कारोबार पर लगता है. दिल्ली के डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री मनीष सिसौदिया ने बैठक में हुए फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि राज्यों को जून 2022 के बाद भी मुआवजा देने पर आज फैसला नहीं हो पाया, लेकिन इसके लिए एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स द्वारा विचार किया जाएगा. यह समिति दो महीने के भीतर अपनी सिफारिश देगी. 

कंज्यूमर्स के लिए अच्छी खबर 

अच्छी खबर यह है कि कोरोना की दवा को 31 दिसंबर 2021 तक जीएसटी से छूट मिलती रहेगी. इसमें कुछ और दवाओं को शामिल किया गया. कई महंगी लाइफ सेविंग दवाओं को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है. इनमें दो काफी महंगी दवाएं हैं. बायोडीजल पर जीएसटी घटाकर 12 से 5 फीसदी कर दिया गया है. सभी तरह के पेन पर अब जीएसटी 18 फीसदी रहेगी. 

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GST council की बैठक आज यानी शुक्रवार को लखनऊ में हुई. बैठक में ऐसे कई अहम निर्णय हुए जिनका असर आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला है. कई अहम प्रस्तावों पर विचार हुआ. यह मार्च 2020 के बाद (जब कोरोना का कहर शुरू हुआ था) सदस्यों की भौतिक रूप से मौजूदगी वाली पहली बैठक है. इसके पहले कई बैठकें ऑनलाइन आयोजित की गईं. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सुबह 11 बजे शुरू होने वाली इस बैठक में 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित राज्यों के प्रतिनिध‍ि शामिल हुए. आज की बैठक में असल में 50 से ज्यादा वस्तुओं एवं सेवाओं पर दरों में बदलाव पर विचार हुआ. 

बैठक में विचार के लिए एक प्रमुख मसला यह भी था कि जीएसटी लागू होने से राज्यों को हो रहे नुकसान की पूरी तरह से भरपाई कैसे हो. असल में 1 जुलाई 2017 को लागू जीएसटी एक्ट में कहा गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद यदि राज्यों के जीएसटी में 14 फीसदी से कम ग्रोथ होती है तो उन्हें अगले पांच साल तक इस नुकसान की भरपाई ऑटोमोबिल और टोबैको जैसे कई उत्पादों पर विशेष सेस लगाकर करने की इजाजत होगी. 

यह पांच साल की अवध‍ि 2022 में पूरी हो रही है, लेकिन राज्य चाहते थे कि इसे इसके आगे भी हर्जाना दिया जाए. इस पर  आज फैसला नहीं हो पाया, लेकिन इसके लिए एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स द्वारा विचार किया जाएगा. यह समिति दो महीने के भीतर अपनी सिफारिश देगी. 

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