पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र की ओर से सुझाए गए दोनों तरीकों को खारिज कर दिया है. राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र द्वारा सुझाए गए दोनों विकल्प 'संवैधानिक भरोसे' को तोड़ने जैसा है.
बता दें कि 27 अगस्त को जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को जीएसटी से जुड़े मुआवजे के लिए दो विकल्प दिए थे. इन दो विकल्पों का यहां विस्तार से समझा जा सकता है.
इन दोनों विकल्पों पर अब राज्यों को 7 दिनों के भीतर अपनी राय देने को कहा गया था. इस पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा है कि जब जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई थी तो तय हुआ था कि मुआवजा राजस्व में हुए घाटे का 100 फीसदी होगा.
इस घाटे को 5 साल में दिया जाएगा. इस घाटे को राज्यों को भुगतान करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी. इस दौरान कहा गया था कि अगर क्षतिपूर्ति देने में कमी होती है तो फंड उधार लिया जा सकता है.
पंजाब सरकार ने आगे कहा है कि उन्हें लगता है कि केंद्र सरकार अपने उस वादे से मुकर रही है, जिसे कानून जैसी शक्ति प्राप्त है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार को अनुच्छेद 293 के तहत कर्ज लेने का अधिकार देना किसी भी हालत में मुआवजा नहीं है.
पंजाब सरकार ने कई तर्क गिनाते हुए कहा है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए सुझाए गए दोनों विकल्प केंद्र द्वारा दिए गए संवैधानिक भरोसे को तोड़ने जैसा है और जीएसटी की यात्रा बने को ऑपरेटिव फेडरलिज्म की भावना के खिलाफ है. उन्होंने कहा है कि इस मुद्दे का कोई और भी समाधार निकालने में पंजाब केंद्र का पूरा सहयोग करने के लिए तत्पर है.
इससे पहले पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा था कि हम पर केंद्र अपना निर्णय थोप रहा है. हमारा यह मानना है कि केंद्र सरकार को अपने समेकित निधि से एक-तिहाई हिस्सा देना चाहिए और बाकी हिस्सा राज्य छठे या सातवें साल में उधार ले सकते हैं.