भारत में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची महंगाई (Record High Inflation) की मार से सिर्फ आम लोग ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं. अब महंगाई सरकार के फैसलों पर असर डालने लगी है और इसके कारण जीएसटी के स्लैब (GST Slab Rejig) व दरों में बदलाव (GST Rate Rationalisation) की योजना को बाद के लिए टाल दिया गया है. ऐसे समय में जब चीजों की कीमतें पहले से ही आसमान पर हैं, केंद्र व राज्य सरकारें टैक्स की दरों (GST Tax Rate) में कोई बदलाव कर नया रिस्क नहीं लेना चाहती हैं.
कीमतों पर असर डाल रहे बाहरी फैक्टर
दरअसल पहले तो महामारी (Covid-19) ने दुनिया भर को प्रभावित किया. उसके बाद रूस और यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई (Russia-Ukraine War) ने हालात बदतर बना दिया. इसके चलते अनाजों की कमी हो रही है और इनकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं. ये बाहरी फैक्टर चीजों की कमी और महंगाई को प्रभावित कर रहे हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने टैक्स कलेक्शन (Tax Collection) बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में प्रस्तावित बदलाव को फिलहाल के लिए टालने का फैसला लिया है.
सितंबर के बाद नहीं हुई काउंसिल की बैठक
जीएसटी के बारे में अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल (GST Council) करती है. हालांकि लंबे अंतराल से काउंसिल की बैठक नहीं हुई है. जीएसटी काउंसिल की आखिरी बैठक पिछले साल सितंबर में लखनऊ में हुई थी. सूत्रों का मानना है कि काउंसिल की बैठक को अब और टालना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि जुलाई के तीसरे सप्ताह से संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है और बैठक को इसके बाद के लिए टाला नहीं जा सकता है. एक सूत्र ने कहा कि जुलाई के तीसरे या चौथे सप्ताह में जीएसटी काउंसिल की बैठक की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.
अगले महीने हो सकती है काउंसिल की बैठक
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संसद सत्र से पहले भी जीएसटी काउंसिल की बैठक हो सकती है. हालांकि इस बात के चांसेज काफी कम हैं कि बड़ी संख्या में चीजों के ऊपर लेवी लगाई जाए, क्योंकि इस साल के अंत में गुजरात (Gujarat) और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
मंत्रियों के समूह को दिए गए ये काम
सितंबर में हुई पिछली बैठक में काउंसिल ने राज्यों के वित्त मंत्रियों (Finance Ministers) के एक समूह को जीएसटी दरें तार्किक बनाने की संभावनाओं पर गौर करने का काम दिया था. समूह को मुख्य काम यह दिया गया था कि वे गुवाहाटी में नवंबर 2017 में हुई बैठक में कई कमॉडिटीज और सर्विसेज पर जीएसटी दरों में की गई कटौती की समीक्षा करें. तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में हुई उस बैठक में 28 फीसदी के सबसे ऊंचे स्लैब में महज 50 सामान रखे गए थे. उस बैठक में काउंसिल ने 178 सामानों पर टैक्स की दर 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दी थी. इनके अलावा कई सामानों पर टैक्स की दर 5 फीसदी से घटाकर शून्य करने का भी फैसला लिया गया था.
अप्रैल में हुआ रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन
आपको बता दें कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के समय जीएसटी कलेक्शन में गिरावट आई थी, लेकिन अब यह सुधर चुका है. अप्रैल 2022 में टोटल जीएसटी कलेक्शन 1,67,540 करोड़ रुपये रहा था. अप्रैल 2022 में सरकार को सेंट्रल जीएसटी (CGST) से 33,159 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. इसके अलावा सरकार को स्टेट जीएसटी (SGST) से 41,973 करोड़ रुपये और इंटीग्रेटेड जीएसटी (IGST) से 81,939 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. इंटीग्रेटेड जीएसटी में सामानों के आयात से प्राप्त 36,705 करोड़ रुपये का कलेक्शन भी शामिल है. सरकार को सेस से 10,649 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसमें सामानों के आयात से मिले 857 करोड़ रुपये भी शामिल हैं. इस तरह अप्रैल 2022 में करीब 1.68 लाख करोड़ रुपये के जीएसटी कलेक्शन का रिकॉर्ड बना.