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देश के 26 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में वस्तु एवं सेवा कर (GST) राजस्व में एक साल पहले की तुलना में करीब 25 फीसदी तक की कमी आई है. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में यह जानकारी दी है.
उन्होंने बताया कि कोरोना संकट की वजह से वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में इन राज्यों का जीएसटी राजस्व करीब एक-चौथाई घट गया है.
सबसे ज्यादा नुकसान मिजोरम, गोवा को
उन्होंने बताया कि मिजोरम और गोवा जैसे राज्यों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है और एक साल पहले की तुलना में उनके राजस्व में 43 फीसदी की गिरावट आई है. झारखंड को इस दौरान पिछले साल के 10,091 करोड़ रुपये के मुकाबले इस साल 5,967 करोड़ रुपये और उत्तराखंड को पिछले साल के 6,327 करोड़ रुपये के मुकाबले सिर्फ 3,760 करोड़ रुपये मिले हैं.
इसी तरह, करीब 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में राजस्व की कमी अप्रैल से अगस्त 2020 तक बढ़कर 30 से 38 फीसदी तक पहुंच चुकी है. इस तरह औसत 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जीएसटी राजस्व में इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में करीब 29 फीसदी की गिरावट आई है. सिक्किम और त्रिपुरा के राजस्व में क्रमश: 6.7 फीसदी और 2.1 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि नगालैंड के राजस्व में करीब 12 फीसदी की कमी आई है.
मिले हैं दो विकल्प
गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की 41वीं बैठक में राज्यों को दो विकल्प दिये गये हैं ताकि वे अपने जीएसटी मुआवजे की भरपाई कर सकें. ये विकल्प हैं 97,000 करोड़ रुपये का उधार लेने का या पूरा नुकसान 2.35 लाख करोड़ रुपये का उधार लेने का. यानी राज्यों को कम से कम ब्याज दर पर उधार लेकर अपना काम चलाने को कहा गया है.
13 राज्यों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया है. इसके अलावा गोवा, असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और हिमाचल प्रदेश भी एक या दो दिन में अपनी राय बता देंगे. जीएसटी एक्ट के मुताबिक काउंसिल की सिफारिश पर ही राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है. यह भरपाई जीएसटी लागू होने के पांच साल तक यानी 2022 तक होती रहेगी.