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अब भी हम चीन पर निर्भर! धड़ल्ले से मंगाए जा रहे हैं ये सामान... क्या भारत के पास नहीं है विकल्प?

देश की चीन पर बढ़ती निर्भरता रणनीतिक तौर पर भी भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है, क्योंकि इससे आर्थिक के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सीधा असर होता है. 

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India China Trade
India China Trade

आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) मिशन के बावजूद, देश में चीन से आयात किए जाने वाले सामान की हिस्सेदारी कम होने की जगह बढ़ती जा रही है. अभी ऐसा कोई आंकड़ा तो सामने नहीं आया है कि आत्मनिर्भर भारत मिशन के बिना ये हिस्सेदारी कितनी ज्यादा बढ़ सकती थी, लेकिन फिलहाल मौजूद आंकड़ों के मुताबिक चीन से आने वाले औद्योगिक सामान के आयात में तेजी जारी है. आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव यानी GTRI की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत के औद्योगिक सामान आयात में चीन की हिस्सेदारी बीते 15 साल में 21 फीसदी बढ़कर 30 परसेंट हो गई है.

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कुछ चीजों के लिए अब भी चीन पर निर्भर

इस आयात (India Import China) में बढ़ोतरी की मुख्य वजह टेलीकॉम, मशीनरी और इलेक्ट्रानिक्स जैसे चीन के औद्योगिक सामानों पर भारत की बढ़ती निर्भरता है. इन सामानों का चीन से भारत का व्यापार घाटा बढ़ाने में भी बड़ा योगदान है. GTRI ने कहा कि चीन के साथ भारत का बढ़ता व्यापार घाटा चिंता का विषय है. देश की चीन पर बढ़ती निर्भरता रणनीतिक तौर पर भी भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है, क्योंकि इससे आर्थिक के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सीधा असर होता है. 

GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 से 2024 तक चीन को भारत का निर्यात सालाना करीब 16 अरब डॉलर पर स्थिर रहा है. जबकि चीन से भारत को किए जाने वाला आयात 2018-19 में 70.3 अरब डॉलर के मुकाबले 2023-24 में बढ़कर 101 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया है.

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चीन से निर्यात के मुकाबले आयात में इजाफा

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से आयात में ये बढ़ोतरी भारत के कुल आयात में हुए इजाफे के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ रही है. भारत में चीन का निर्यात बाकी सभी देशों से कुल आयात के मुकाबले 2.3 गुना तेजी से बढ़ रहा है. 2023-24 में भारत का कुल व्यापारिक आयात 677.2 अरब डॉलर था जिसमें से 101.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर चीन से आया था.

GTRI ने इस मुद्दे को चिंताजनक बताते हुए भारत सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं, जिनमें कहा गया है कि सरकार और उद्योगों को अपनी आयात रणनीतियों पर फिर से गौर करना चाहिए. इसके साथ ही सप्लाई चेन के डायवर्सिफिकेशन पर भी इन्हें ध्यान देना चाहिए. GTRI के मुताबिक इस कदम से ना केवल आर्थिक जोखिम कम किए जा सकेंगे बल्कि घरेलू उद्योगों को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.

लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि किसी एक देश पर से भारत की आयात के लिए निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी. वैसे भी अगर ये एक देश चीन है तो भारत को यहां पर खासकर के काम करना होगा क्योंकि चीन और भारत के बीच भू-राजनीतिक तनाव भी एक बड़ा मुद्दा है.
 

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