अक्सर सुनने में आता है कि फ्रेशर्स (Freshers) को नौकरी आसानी से नहीं मिलती है. लेकिन अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में जितने फ्रेशर्स नौकरी हासिल करते हैं, उनमें से आधे तो पहले साल में ही उस नौकरी को छोड़कर (Job Quit) दूसरी जॉब करने लगते हैं. ये दावा inFeedo ने किया है और कहा है 2021-22 में नौकरी बदलने वाले लोगों में से 50 फीसदी से ज्यादा फ्रेशर्स थे.
2022 में बढ़ी ऐसे पेशेवरों की संख्या
यही नहीं रिपोर्ट में जो आंकड़े पेश किए गए हैं, वे चौंकाने वाले हैं. इसके मुताबिक, 2022 में तो नौकरी बदलने की योजना बनाने वालों का आंकड़ा बीते वित्त वर्ष से 24 फीसदी बढ़ गया है. रिपोर्ट में फ्रेशर्स के इतनी जल्दी नौकरी बदलने की वजह का भी खुलासा किया गया है. inFeedo के मुताबिक, अब कर्मचारी कंपनियों से ज्यादा डिमांड करने लगे हैं. ऐसे में अगर किसी शुरुआती कंपनी में उनकी ये डिमांड पूरी नहीं होती हैं, तो फिर वे मौका मिलते ही वो नौकरी छोड़ दूसरी पकड़ लेते हैं.
कोरोना के बाद 20% घटा औसत कार्यकाल!
कोरोना (Corona) के बाद कामकाज के तरीकों में काफी बदलाव आए हैं. वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) समेत फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स ने कर्मचारियों को काफी हद तक मनमर्जी से काम करने की आदत डाल दी है. ऐसे में कंपनियों की तरफ से जरा सी सख्ती होते ही कर्मचारी नौकरी स्विच करने को तैयार हो जाते हैं. इस वजह से बीते 2 साल में नौकरीपेशा का औसत कार्यकाल 20 फीसदी घट गया है. inFeedo के मुताबिक अब कर्मचारियों का औसत कार्यकाल भी 2 साल का रह गया है.
कोरोना काल में ज्यादातर फ्रेशर्स ने बदली नौकरी
हाल ही में आई UnearthInsight की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोरोना की शुरुआत यानी मार्च 2022 में नौकरी ज्वाइन करने वाले ज्यादातर फ्रेशर्स कम से कम एक नौकरी बदल चुके हैं. इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि उस दौरान नौकरी बदलने वाले 5 साल से कम अनुभव के कर्मचारी भी एक बार इन 2 साल में नौकरी बदल चुके हैं.
इसके साथ ही 5 साल से कम अनुभवी कर्मचारियों का औसत कार्यकाल 2.6 साल से घटकर कोरोना में 1.9 साल रह गया है. इसकी वजह है कि इस सेगमेंट के 50 से 60 फीसदी प्रोफेशनल्स ने कोरोना के बाद कम से कम एक बार जरूर नौकरी बदली है. औसत कार्यकाल घटने का ये ट्रेंड 5-10 साल के अनुभव वाले सेगमेंट में भी देखने को मिला है जहां पर अब 7.1 की जगह औसत कार्यकाल 5 साल रह गया है.
फ्रेशर्स हायरिंग का आंकड़ा बढ़ा!
inFeedo ने फ्रेशर्स के नौकरी छोड़ने के ट्रेंड को 5 स्तरों में बांटा है. इनमें पहला है टॉप टैलेंट का नौकरी छोड़ना, 6 महीने तक की नौकरी वालों का जॉब बदलना, खास टैलेंट का नौकरी बदलना, एक तय समय के बाद नौकरी बदलना और रिमोट एंपलॉयी एट्रीशन. इस आधार पर आकलन के बाद यह रिपोर्ट जारी की गई है. वहीं एक अन्य टीमलीज की रिपोर्ट पर नजर डालें को नौकरियों की तलाश कर रहे फ्रेशर्स के लिए मौजदूा छमाही यानी जुलाई-दिसंबर में नौकरी हासिल करने के लिहाज से सबसे उपयुक्त समय है.
इसके मुताबिक 59 फीसदी कंपिनयां 2022 की दूसरी छमाही में सबसे ज्यादा फ्रेशर्स को हायर करने की इच्छुक हैं. ये आंकड़ा जनवरी-जून 2022 से 12 परसेंट और जुलाई-दिसंबर 2021 से 42 फीसदी ज्यादा है. ये ट्रेंड साबित करता है कि एंट्री लेवल नौकरियों के लिहाज से भारत दुनिया में सबसे बेहतर विकल्प है.
इन सेक्टर्स और शहरों में जबर्दस्त मौके
फ्रेशर्स को नौकरी देने में हमेशा की तरह IT सेक्टर सबसे आगे है. यहां पर 65 फीसदी कंपनियों में नौकरी के मौके फ्रेशर्स को मिल सकते हैं. माना जा रहा है कि IT सेक्टर में 1 लाख फ्रेशर्स को इस साल नौकरी मिल सकती है. इसके बाद ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स में 48 परसेंट और टेलीकॉम सेक्टर में 47 फीसदी कंपनियां फ्रेशर्स को नौकरी देने के लिए दरवाजे खोलकर बैठी हैं.
जब सबसे ज्यादा नौकरियां IT सेक्टर में मिलेंगी तो इंडियन सिलिकॉन वैली यानी बेंगलुरु में नौकरियों के मौकों की भरमार है जहां पर 68 फीसदी कंपनियां नौकरी देने के लिए तैयार हैं. वहीं मुंबई में 50 फीसदी और दिल्ली में 45 परसेंट कंपनियां फ्रेशर्स के लिए नौकरियों के मौके मुहैया करा रही हैं. इनके अलावा कोच्चि, इंदौर, कोयम्बटूर और चंडीगढ़ में भी फ्रेशर्स नौकरियां तलाश कर सकते हैं.
फ्रेशर्स को सलाह देकर ट्रोल हुए थे CEO!
फ्रेशर्स के नौकरी बदलने की एक बड़ी वजह काम के ज्यादा घंटे भी हो सकते हैं. हाल ही में बॉम्बे शेविंग कंपनी के CEO शांतनु देशपांडे ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में फ्रेशर्स को नौकरी के शुरुआती 4-5 साल में 18 घंटे रोजाना काम करने की सलाह दी थी. इस सलाह के बाद शांतनु को सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया था. लोगों ने इसे युवा कर्मचारियों का शोषण करार दिया था. हालांकि बाद में शांतनु ने सफाई देते हुए कहा था कि इस सलाह को शाब्दिक तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए.