सोना खरीदते समय एक बात हमेशा दिमाग में रहती है कि मुसीबत में अगर हम इस सोने को बेचेंगे तो क्या हमें भी वहीं कीमत मिल पाएगी, जिस पर हमने खरीदा है. इसी सवाल के कारण हम भरोसेमंद और विश्वासी सुनार से गहने खरीदने की भी बात करते हैं. हमें बिना हॉलमार्क के सोना खरीदते वक्त इस बात का भी डर होता है कि कहीं इसमें मिलावट न हो.... क्योंकि बिना हॉलमार्क के ज्वेलरी की कोई गारंटी नहीं होती. डर इस बात का भी होता है कि अगर मिलावट हुई तो मुसीबत में भी फंस सकते हैं. लेकिन अगर आपके पास बिना हॉलमार्क के ज्वेलरी है तो आपको किसी प्रकार से चिंतित होने की जरूरत नहीं है. ऐसी ज्वेलरी को बेचने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी.
दरअसल, सोने की कीमत उसकी शुद्धता के आधार पर तय की जाती है. ऐसे में आप जब सोना बेचने के लिए जाएंगे तो उसकी शुद्धता के आधार पर कीमत को आंका जाएगा. सारे सुनार पुराने गहनों को पिघलाकर ही नए गहने बनाते हैं. ऐसे में उनके लिए पुराना सोना कच्चा माल ही होता है. इसलिए नए नियम लागू होने के बाद भी आपको आपके सोने की कीमत मिल जाएगी. इस दौरान आप पुराना सोना देकर नया सोना भी ले सकते हैं और चाहें तो पुरानी ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग करवा सकते हैं.
Hallmarking on Old Gold: कैसे होगी पुरानी ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग?
पुरानी ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग के लिए आपको 35 रुपये की फीस देनी होगी और इस पर जीएसटी अलग से चुकाना होगा. साथ ही आप न्यूनतम 200 रुपये देकर अपनी पुरानी ज्वेलरी की शुद्धता की जांच करवा सकते हैं, इस पर आपको अलग से जीएसटी देना होगा. इस जांच के लिए देशभर में सेंटर बनाए गए हैं, जिसकी जानकारी आप अपने सुनार से भी ले सकते हैं.
Benefits of Hallmark Gold: हॉलमार्किंग से क्या होगा फायदा?
हॉलमार्किंग से ग्राहक को फायदा ही फायदा है. इसके लागू होने के बाद सुनार आपसे धोखा नहीं कर सकता है और वो सोने में तांबा या पीतल मिलाकर नहीं बेच सकता. दरअसल, सोना खरीदते समय लोगों से 22 कैरेट सोने की कीमत वसूली जाती है. लेकिन जब ग्राहक किसी परेशानी में उसी सोने को बेचने जाता है तो उसे इस बात की जानकारी मिलती है कि उसके सोने में बड़ी मात्रा में मिलावट की गई है, जिसकी वजह से उसे उतना पैसा नहीं मिल पाता जितने में उसने खरीदा था. ऐसे में सरकार ने लोगों को इसी ठगी से बचाने के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने का फैसला लिया है. इसकी मार्किंग से आपको पता चल जाएगा कि आपका सोना कितने कैरेट का है, क्योंकि ये सोने पर अंकित होगा.
नए कानून में सजा का प्रावधान
नए कानून के मुताबिक अगर सुनार हॉलमार्किंग के नियमों को तोड़ता है तो उस पर कम से कम एक लाख रुपये और ज्वेलरी की कीमत का 5 गुना ज्यादा तक जुर्माना देना पड़ सकता है. इसके साथ ही सजा का भी प्रावधान है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर बताया कि, स्वर्ण आभूषणों पर हॉलमार्क की अनिवार्यता, उपभोक्ताओं और ज्वेलर्स के हित में है. इससे ग्राहकों को शुद्धता की गारंटी मिलेगी, नकली और अशुद्ध सोने द्वारा ठगे जाने की आशंका समाप्त होगी और ज्वेलर्स की विश्वसनीयता में वृद्धि होगी.
256 जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य
सरकार ने 2019 में स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों पर 15 जनवरी, 2021 से हॉलमार्किंग अनिवार्य किए जाने की घोषणा की थी. लेकिन बाद में समयसीमा 4 महीने के लिए 1 जून तक बढ़ा दी गई. इसके बाद सुनारों की मांग पर एक बार फिर समयसीमा को 15 जून कर दिया गया था. हालांकि, 16 जून, 2021 में 256 जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया और अगस्त 2021 तक इस मामले में कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा.
इन चीजों पर मिलेगी हॉलमार्किंग से छूट
सरकार ने आभूषण क्षेत्र में कुछ इकाइयों के लिए अनिवार्य हॉलामार्किंग व्यवस्था से छूट दी है. उदाहरण के लिए 40 लाख रुपए तक के सालाना कारोबार वाले आभूषण निर्माताओं को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट मिलेगी. इस व्यवस्था से उन इकाइयों को भी छूट दी गई है, जो सरकार की व्यापार नीति के तहत आभूषण का निर्यात और फिर आयात करते हैं. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के साथ-साथ सरकार की मंजूरी वाले बी2बी (व्यापारियों के बीच) घरेलू प्रदर्शनी के लिए भी इससे छूट होगी.
साथ ही घड़ियों, फाउंटेन पेन में इस्तेमाल सोने और कुंदन, पोल्की तथा जड़ाऊ आभूषणों पर अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी गई है. भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अप्रैल 2000 से सोने के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग योजना चला रहा है. वर्तमान में लगभग 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग की जा रही है.