scorecardresearch
 

24 मेडिकल डिवाइसेज की ऊंची कीमत संदेह के घेरे में, मोदी सरकार ने दिखाई सख्ती

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने इनकी कीमतों का ब्योरा मांगा है. इनमें डिजिटल थर्मामीटर से लेकर सीरिंज तक शामिल हैं. NPPA ने इन 24 तरह के मेडिकल डिवाइसेज के मैन्युफैक्चरर और आयातकों से कहा है कि वे सभी उत्पादों की कीमतों के बारे में ब्योरा जमा करें.

Advertisement
X
मेडिकल डिवाइसेज की कीमत पर सख्ती (फाइल फाटो)
मेडिकल डिवाइसेज की कीमत पर सख्ती (फाइल फाटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मेड‍िकल डिवाइसेज के दाम काफी बढ़े
  • इन कीमतों को लेकर सरकार को संदेह
  • नियामक ने दिखाई सख्ती, मांगा ब्योरा

देश में 24 तरह के मेडिकल डिवाइसेज के दाम काफी ऊंचे हो गए हैं, जिसे संदिग्ध मानते हुए मोदी सरकार ने सख्ती दिखाई है. नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने इनकी कीमतों का ब्योरा मांगा है. इनमें डिजिटल थर्मामीटर से लेकर सीरिंज तक शामिल हैं. 

Advertisement

NPPA ने इन 24 तरह के मेडिकल डिवाइसेज के मैन्युफैक्चरर और आयातकों से कहा है कि वे सभी उत्पादों की कीमतों के बारे में ब्योरा जमा करें. पिछले हफ्ते जारी एक निर्देश में NPPA ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो वह जनहित में इन सभी मेडिकल डिवाइसेज के अध‍िकतम खुदरा मूल्य को नियंत्रित कर सकता है.

लगातार बढ़ती सख्ती 

गौरतलब है कि सरकार ने मेडिकल डिवाइसेज को भी ड्रग्स की कैटेगरी में शामिल कर दिया है. फिलहाल 28 तरह के मेडिकल डिवाइसेज को अथॉरिटी द्वारा रेगुलेट किया जाता है. 

NPPA चार तरह के मेडिकल डिवाइस- कोरोनरी स्टेंट, ड्रग इल्युटिंग स्टेंट, कंडोम और इंट्रायूटरीन डिवाइसेज की कीमतों को पहले ही फिक्स कर चुका है. बाकी मामले में यह अपेक्षा की जाती है कि मैन्युफैक्चरर खुद ही कीमत को नियंत्रित रखें. 

इन उत्पादों का मांगा ब्योरा 

Advertisement

जिन उत्पादों की कीमतों का ब्योरा मांगा गया है, उनमें नेबुलाइजर, ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग मशीन, डिजिटल थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर, सर्जिकल ड्रेसिंग्स, ब्लड बैग, एचआईवी के लिए इन विट्रो डायग्नोस्टिक डिवाइसेज, HbsAg और HCV, डिस्पोजबल हाइपोडर्मिक सीरिंज आदि शामिल हैं. 

एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AiMeD) के कोऑर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा कि अपने अध‍िकार क्षेत्र में आने वाले उत्पादों के अध‍िकतम खुदरा मूल्य पर निगरानी रखना चाहता है तो उसे पहले आयातित उत्पाद की कीमत पर नजर रखनी चाहिए, जिस पर कि जीएसटी लगाया जाता है. उससे यह समझ में आ जाएगा कि इन उत्पादों पर कितना ऊंचा मार्जिन रखा गया है. 

(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित) 

 

Advertisement
Advertisement