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IMF कैसे देता है किसी देश को लोन? कितना लेता है ब्याज? क्या सिबिल भी करता है चेक

पाकिस्तान आर्थिक संकट से उबरने के लिए IMF की राह देख रहा है. लेकिन दोनों के बीच अभी तक बेलआउट पैकेज के लिए बात नहीं बन पाई है. दूसरी तरफ IMF ने श्रीलंका के लिए बेलआउट पैकेज को हरी झंडी दिखा दी है.

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कैसे लोन प्रदान करता है IMF.
कैसे लोन प्रदान करता है IMF.

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने तीन अरब डॉलर के बेल आउट फंड के लिए रही झंडी दिखा दी है. लेकिन आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान अभी भी मदद की राह देख रहा है. IMF की तमाम शर्तों को मानने के बावजूद अभी तक उसे बेल आउट फंड नहीं मिल सका है. IMF और पाकिस्तानी सरकार के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही है पर बात अभी तक बन नहीं पाई है. लेकिन IMF किसी देश को कैसे लोन देता और इसके लिए क्या नियम हैं...जान लीजिए.

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वित्तीय मदद प्रदान करता है IMF

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) 190 देशों का एक संगठन है, जो ग्लोबल मॉनिटरी सहयोग को बढ़ावा देने, सुरक्षित वित्तीय स्थिरता, इंटरनेशनल व्यापार को सुविधाजनक बनाने, उच्च रोजगार और लगातार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और दुनिया भर में गरीबी को कम करने के लिए काम कर रहा है. IMF सदस्य देशों को वित्तीय मदद प्रदान करता है और जिम्मेदार खर्च को सुनिश्चित करने के लिए सरकारों के साथ काम करता है. आईएमएफ कई तरह के लोन देता है. ये देशों के की विभिन्न आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप होते हैं. कम आय वाले देशों को आईएमएफ शून्य ब्याज दर पर भी कर्ज देता है.

कितनी संपत्ति और कितना दे सकता है लोन

IMF के पास मौजूदा समय में कुल 977 बिलियन SDR की संपत्ति है और इसमें से 713 बिलियन का लोन वो अपने सदस्य देशों को दे सकता है. SDR (स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स) एक रिजर्व संपत्ति है.

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SDR की वैल्यू पांच देशों की करेंसी के बकेट पर आधारित है. इसमें अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी रॅन्मिन्बी, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग शामिल है. आईएमएफ को फंड सदस्य कोटा, बहुपक्षीय और द्विपक्षीय उधार समझौते से तीन सोर्स से मिलते हैं.

मेंबर कोटा आईएमएफ फंडिंग का प्राथमिक स्रोत है. एक सदस्य देश का कोटा विश्व अर्थव्यवस्था में उसके आकार और स्थिति को दर्शाता हैय आईएमएफ नियमित रूप से कोटा की समीक्षा करता रहता है.


अगर किसी देश को आईएमएफ से मदद चाहिए, तो उसे ये काम करना होता है.

  • सबसे पहले वित्तीय सहायता की आवश्यकता वाला सदस्य देश आईएमएफ से अनुरोध करता है.
  • फिर देश की सरकार और आईएमएफ कर्मचारी आर्थिक और वित्तीय स्थिति और वित्तपोषण की जरूरतों पर चर्चा करते हैं.
  • आम तौर पर आईएमएफ देश को उधार देने से पहले देश की सरकार और आईएमएफ आर्थिक नीतियों के एक कार्यक्रम पर सहमत होते हैं. ज्यादातर मामलों में कुछ नीतिगत बदलाव को करने के लिए, जिसे पॉलिसी शर्त के रूप में जाना जाता है.
  • एक बार जब शर्तों पर सहमति हो जाती है, तो एक व्यवस्था के तहत पॉलिसी प्रोग्राम आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड को 'MOU' में पेश किया जाता है और एग्रीमेंट में विस्तार से इसके बारे में जानकारी दी जाती है. आईएमएफ कर्मचारी कार्यकारी बोर्ड को देश की नीतिगत मंशा का समर्थन करने और वित्तपोषण की पेशकश करने की सिफारिश करता है. इस प्रक्रिया को आईएमएफ के इमरजेंसी फाइनेंसिंग मैकेनिज्म के तहत तेज किया जा सकता है.
  • बोर्ड द्वारा कर्ज की मंजूरी मिलने के बाज आईएमएफ इस बात की निगरानी करत है कि सदस्य देश तय पॉलिसी को कैसे लागू करता है.किसी देश की आर्थिक और वित्तीय स्थिति में वापसी यह सुनिश्चित करती है कि आईएमएफ फंडों का पुनर्भुगतान किया जाए ताकि उन्हें अन्य सदस्य देशों को उपलब्ध कराया जा सके.

IMF की वेबसाइट के अनुसार, लोन देने का प्रोसेस काफी फ्लेक्सिबल है. जो देश अच्छी नीतियों के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखते हैं, वे बिना या सीमित शर्तों के कर्ज लेने में सक्षम हो सकते हैं.

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IMF और विश्व बैंक में अंतर
विश्व बैंक (World Bank) नीति सुधार कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए लोन देता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) केवल नीति सुधार कार्यक्रमों के लिए ही लोन देता है. इन दोनों संस्थाओं में एक अंतर यह भी है कि विश्व बैंक केवल विकासशील देशों को ऋण देता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के संसाधनों का इस्तेमाल निर्धन राष्ट्रों के साथ-साथ धनी देश भी कर सकते हैं. 

 

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