अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही चीन को निशाने पर लेना शुरू कर दिया और इसीके साथ US-China Trade War की शुरुआत हो गई है. एक ओर जहां अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में 1 फरवरी को चीन पर 10% का टैरिफ लगाया, तो वहीं China ने भी अमेरिका पर 10-15% का टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है. अब सवाल ये कि इस Tariff की जंग में भारत पर क्या असर होगा? आइए जानते हैं ये देश के लिए फायदे का सौदा साबित होगा, या कहीं न कहीं नुकसान झेलना पड़ सकता है.
अमेरिका और चीन आमने-सामने
सबसे पहले बात कर लेते हैं US-China Trade War के बारे में, तो अमेरिका की ट्रंप सरकार की ओर से चीनी उत्पादों पर 10 फीसदी का टैरिफ लगाया है. व्हाइट हाउस ने दावा किया है कि 10 प्रतिशत टैरिफ मौजूदा टैरिफ के अतिरिक्त चीन से होने वाले सभी आयातों पर लगाया गया है. इसके बाद चीन ने भी पलटवार किया है. China ने अमेरिकी कोल-लिक्विफाइड गैस एक्सपोर्ट पर 15%, जबकि ऑयल और कृषि से जुड़े उपकरणों के एक्सपोर्ट्स पर 10% का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इसके अलावा चीन ने और भी कदम उठाए हैं जिसकी जानकारी मंगलवार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में दी गई है. इसमें कहा गया है कि चीन द्वारा अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के हित में कदम उठाते हुए दो अमेरिकी कंपनियों PVH Group और Illumina को अविश्वसनीय कंपनियों की लिस्ट में डाला गया है.
भारत के लिए दोहरा फायदा!
इस सवाल का जबाव पिछले US-China Trade War के आंकड़ों को देखकर भी आसानी से लगाया जा सकता है. दरअसल, उस समय भारत दुनिया का चौथा बड़ा लाभार्थी रहा था. डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भी चीनी सामानों पर हाई टैरिफ लगाया गया था. अब ताजा ट्रेड वॉर की शुरुआत होने के बाद भी एक्सपर्ट्स मान रहे हैं, ये भारत के लिए फायदे का सौदा साबित होगा और भारत से निर्यात किए जाने वाले सामानों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. अमेरिकन बाजारों में भारत की शिपमेंट में इजाफा हो सकता है. भारत को होने वाले दोहरे फायदे पर नजर डालें, तो...
पहला- रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अमेरिका के इस कदम से भारतीय निर्यात में उछाल आने वाला है. ऐसा इसलिए कि क्योंकि दोनों देशों की ओर से एक-दूसरे के सामानों पर टैरिफ लगाने के बाद वे महंगे हो जाएंगे और इसके बाद भारत के पास दोनों ही बाजारों में अपने सामानों को एक्सपोर्ट करने का बेहतरीन मौका होगा. इससे टेक्सटाइल, गारमेंट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और कंज्यूमर प्रोडक्ट्स तक से जुड़ी कंपनियों को तगड़ा फायदा हो सकता है, इसके अलावा फार्मा, ऑटो कंपोनेंट्स, मशीनरी, केमिकल्स से जुड़ी कंपनियां भी फायदे में रह सकती हैं.
दूसरा- भारत को FDI के मोर्चे पर लाभ हो सकता है. Export में इजाफे के साथ ही भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी FDI बढ़ने की भी उम्मीद है, क्योंकि अमेरिका की चीन पर सख्ती के चलते कई दिग्गज कंपनियां अपने प्रोडक्ट सेंटर्स को चीन से बाहर निकालने पर विचार कर सकती हैं और भारत में कम लेबर चार्ज के साथ ही बड़ा मार्केट होने के चलते वो देश का यहां का रुख कर सकती हैं.
भारत-अमेरिका में व्यापार पर नजर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, Donald Trump के पहले कार्यकाल के दौरान जब यूएस-चीन ट्रेड वार हुआ था, तो उस समय भारत का एक्सपोर्ट बढ़कर 72-73 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच गया था. ताजा ट्रेड डाटा की बात करें, तो बीते फाइनेंशियल ईयर के अप्रैल-नवंबर में भारत अमेरिका का दूसरा सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर बनकर उभरा है और दोनों के बीत 82.52 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है. इसमें 52.89 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट और 29.63 अरब डॉलर का इंपोर्ट शामिल है.
भारत की अमेरिकी टैरिफ पर नजर
बीते दिनों डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को टैरिफ की धमकी दी थी और चीन पर कार्रवाई भी कर दी है. बता दें कि भारत भी इसका संस्थापक सदस्य है. वहीं दूसरी ओर टैरिफ की आशंकाओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच ऐसा ट्रेड नहीं है कि अमेरिका टैरिफ लगा सकता है. लेकिन फिर अगर वे टैरिफ लगाते हैं तो हमारी नजर उसपर बनी हुई है, अगर अमेरिका भारत पर टैरिफ को लेकर कोई कदम उठाता है, तो फिर देखेंगे हम क्या कर सकते हैं, हमारी पूरी तैयारी है.