इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने दुनिया में पहली बार नैनो यूरिया तरल तैयार किया है. इससे फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसानों की आमदनी बढ़ सकेगी. अब एक बोरी यूरिया खाद की जगह आधे लीटर की नैनो यूरिया की बोतल किसानों के लिए काफी होगी.
इफको की ऑनलाइन-ऑफलाइन मोड में हुई 50वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) में प्रतिनिधि महासभा के सदस्यों की उपस्थिति में इसका ऐलान किया गया. मिट्टी में यूरिया के प्रयोग में कमी लाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील से प्रेरित होकर इसे तैयार किया गया है.
क्या है नैनो यूरिया का मतलब?
नैनो यूरिया का मतलब यह है कि इसे बहुत छोटे आकार में ज्यादा क्षमता के साथ तैयार किया गया है. इफको नैनो यूरिया तरल की 500 मिली. की एक बोतल सामान्य यूरिया के कम से कम एक बैग यानी बोरी के बराबर होगी. इसके प्रयोग से किसानों की लागत कम होगी. नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी.
फसलों की पैदावार बढ़ती है!
इफको का दावा है कि नैनो यूरिया तरल को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी व असरदार पाया गया है. इसके प्रयोग से फसलों की पैदावार बढ़ती है तथा पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है. नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन व टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा.
किसानों द्वारा नैनो यूरिया तरल के प्रयोग से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होंगे और मिट्टी में यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी. गौरतलब है कि यूरिया के अधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है, पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है, फसल देर से पकती है और उत्पादन कम होता है. साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है. नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है तथा फसलों को गिरने से बचाता है.
कैसे बढ़ेगी किसानों की आय?
इफको का दावा है कि नैनो यूरिया किसानों के लिए सस्ता है और इससे पैदावार भी बढ़ेगी. इस तरह जहां किसानों की लागत कम होगी, वहीं पैदावार ज्यादा होने से उनकी कमाई ज्यादा होगी.
कितना बढ़ेगा उत्पादन?
इफको के अनुसार इसके पूरे देश के 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) किये गये थे और फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अनुसंधान के बाद नैनो यूरिया तरल को स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया है. इफको ने कहा कि 'यह नवीन उत्पाद आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में एक सार्थक कदम है.'
इफको नैनो यूरिया तरल को सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 फीसदी की कमी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है. इसके 500 मि.ली. की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बोरी के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा.
बोरी वाले यूरिया से कम होगी कीमत
इफको नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक आरंभ होगा और शीघ्र ही इसकी बिक्री भी शुरू हो जाएगी. इफको ने किसानों के लिए 500 मिली. नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत 240 रुपये निर्धारित की है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 फीसदी कम है.
गौरतलब है कि भारत में हर साल करीब 350 लाख टन यूरिया का इस्तेमाल होता है. नैनो यूरिया के इस्तेमाल से इसकी खपत आधा ही रह जाएगी और सरकार को सब्सिडी पर सालाना 600 करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है. इससे भारत को यूरिया आयात करने की जरूरत भी कम हो जाएगी.