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भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की सीमा पर करीब एक साल चला तनाव अब खत्म होने की ओर है. दोनों ही देशों ने आपसी समझौते से सेनाओं को पीछे हटाने का फैसला किया है. पिछले साल सीमा पर चीन की दगाबाजी के बाद देश में उसके खिलाफ काफी माहौल बना था, आम जनता ने चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करना शुरू कर दिया था. साथ ही Boycott China जैसे कैंपेन भी चल रहे थे.
लेकिन इस सबसे अलग अगर आंकड़ों की नज़र से देखें, तो साल 2020 में चीन द्वारा भारत में किए जाने वाले ट्रेड में इजाफा हुआ है. यानी चीनी प्रोडक्ट के खिलाफ कैंपेन के बावजूद लोगों ने चाइनीज़ सामान को प्राथमिकता दी है, जिसकी बात आंकड़ों ने सामने रखी है.
अप्रैल से नवंबर 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के कुल आयात में चीन का हिस्सा करीब 3.3 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा है. जबकि भारत के कुल निर्यात में चीन का हिस्सा 2.5 फीसदी तक बढ़ा है. ये जानकारी देश के कॉमर्स मंत्रालय द्वारा साझा की गई है.
जानकारी के मुताबिक, इस पूरे कार्यकाल में जिन सामान का लेन-देन दोनों देशों के बीच में सबसे ज्यादा हुआ है. उनमें कपड़े, ऑर्गेनिक केमिकल, केमिकल, फार्मा प्रोडक्ट और सर्जिकल के सामान रहे हैं.
गौर करने वाली बात ये भी है कि कोरोना काल में जब भारत का ओवरऑल इम्पोर्ट गिर रहा था, उस वक्त भी चीन से हो रहे इम्पोर्ट का आंकड़ा बढ़ रहा था. सरकार के मुताबिक, अप्रैल-नवंबर 2020 के बीच भारत के टॉप 5 इम्पोर्ट पार्टनर में चीन, अमेरिका, UAE, हान्गकॉन्ग और सऊदी अरब रहे हैं.
लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार की ओर से लगातार कोशिश की जा रही है कि भारत-चीन के बीच ट्रेड के अंतर को कम किया जाए. साथ ही चीन पर भारत की निर्भरता को कम किया जाए.
बता दें कि इससे पहले भी भारत सरकार ने चीन से होने वाले निवेश पर कुछ अड़चन लगाई थी. जिसके मुताबिक, अगर चीन किसी भारतीय कंपनी में ठोस निवेश करना चाहेगा तो उसे सरकार की अनुमति लेनी होगी. अगर चीन द्वारा भारत में किए जा रहे इन्वेस्टमेंट की बात करें तो उसमें काफी गिरावट आई है. साल 2017-18 के वक्त चीन की ओर से जो निवेश करीब 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, वो अब 164 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है.