भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था (Indian Economy) बना हुआ है और अब देश एक और सेक्टर में बड़ा प्लेयर बनने वाला है. इसके लिए सरकार ने बड़ा दांव खेला है. दरअसल, भारत सरकार (Indian Govt) ने सोमवार को अर्जेंटीना (Argentina) में 5 लिथियम ब्राइन ब्लॉकों के अधिग्रहण के लिए समझौता किया है. भारतीय कंपनी इन ब्लॉकों के अन्वेषण और विकास का काम करेगा.
प्रहलाद जोशी बोले- हम नया अध्याय लिख रहे
सोमवार को लिथियम ब्राइन ब्लॉकों के अधिग्रहण के लिए भारतीय कंपनी खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) और कैटामार्का मिनेरा वाई एनर्जेटिका सोसिदाद डेल एस्टाडो (CAMYEN) ने साइन किए हैं. इस समझौते के दौरान अर्जेंटीना में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया भी मौजूद रहे. इसके अलावा केंद्रीय खनन मंत्री प्रहलाद जोशी भी वर्चुअल तरीके से इस अहम करार के दौरान शामिल रहे. इस डील को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि हम द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय लिख रहे हैं और यह समझौता सतत भविष्य के लिए ऊर्जा में बदलाव में अहम भूमिका निभाने वाला साबित होगा.
200 करोड़ रुपये में हुई है ये डील
इस डील के तहत भारतीय फर्म खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL), अर्जेंटीना का कैटामार्का स्टेट में 15,703 हेक्टेयर जगह में लिथियम की खोज के लिए पांच ब्लॉक में खनन शुरू करेगी. इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 200 करोड़ रुपये होगी. बता दें कि KABIL की स्थापना अगस्त 2019 में हुई थी. ये केन्द्र सरकार के तीन संस्थानों का जॉइंट वेंचर है जिसमें नेशनल एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO), मिनरल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड (MECL) और हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) शामिल हैं. ये भारत में इस्तेमाल के लिए विदेशों में रणनीतिक खनिजों की पहचान, अधिग्रहण, विकास और प्रसंस्करण का काम करती है.
बेहद जरूरी बन गया है लीथियम
मोबाइल फोन की बैटरी हो या फिर इलेक्ट्रिक व्हीकल, लैपटॉप और डिजिटल कैमरा की बैट्रियों, इन सभी के निर्माण में लिथियम का ही इस्तेमाल किया जाता है. कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में लिथियम एक बेहद जरूरी चीज है. वैसे भी भारत सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है और इस क्रम में लिथियम की अहमियत और भी बढ़ जाती है. ऐसे में भारत और अर्जेंटीना सरकार के बीच लीथियम ब्राइम ब्लॉकों को लेकर हुआ ये करार बेहद अहम है.
चीन पर भारत की निर्भरता होगी कम
फिलहाल, चिली और बोलिविया के बाद सबसे बड़ा लिथियम भंडार अर्जेंटीना के ही पास है. दुनिया में खुल लिथियम भंडार में से आधा तो इन्हीं तीनों देशों के पास है. वहीं भारत की बात करें तो देश इस चीज के लिए अभी चीन पर निर्भर है और ये करार इस निर्भरता को कम करने की दिशा में उठाया गया सरकार का बड़ा कदम है. हालांकि, बीते साल भारत के जम्मू-कश्मीर में भी लिथियम का बड़ा भंडार खोजा गया था. इसमें 5.9 मिलियन टन लिथियम रिजर्व होने की बात सामने आई थी.
भारत में लिथियम का 100 फीसदी आयात किया जाता है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में 2.8 अरब डॉलर यानी लगभग 23 हजार करोड़ रुपये की लिथियम आयन बैटरी दूसरे देशों से खरीदी गई थी. इसमें भी 95 फीसदी लिथियम ऑयन बैटरी की खरीदारी अकेले चीन और हॉन्ग कॉन्ग से की गई थी.