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अगर भारत में आया आर्थिक संकट, तो सिर्फ इतने वक्त चलेगा फॉरेक्स रिजर्व से काम!

अगर भारत में श्रीलंका जैसा आर्थिक संकट आया, तो अभी हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में कि मौजूद करीब 600 अरब डॉलर की रकम से हम सिर्फ इतने वक्त तक ही अपने आयात का काम चला सकते हैं. हाल में RBI ने फॉरेक्स रिजर्व को लेकर जो आंकड़े जारी किए हैं, वो इसी बात की गवाही देते हैं.

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देश के फॉरेक्स रिजर्व में हैं 600 अरब डॉलर
देश के फॉरेक्स रिजर्व में हैं 600 अरब डॉलर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोविड ने बिगाड़ा विदेशी निवेश का खेल
  • अक्टूबर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर था फॉरेक्स रिजर्व
  • पहले कर सकते थे 17.4 महीने का आयात

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत पर जिस तरह का वैश्विक दबाव है और अमेरिका की मौद्रिक नीति के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से निकासी कर रहे हैं. ऐसी नाजुक स्थिति में अगर देश में कोई आर्थिक संकट आता है, तो हम अभी अपने विदेशी मुद्रा भंडार से देश के लिए सालभर का आयात पूरा कर सकते हैं. श्रीलंका में फिलहाल जो आर्थिक संकट आया है, उसकी कई वजहों में से एक वहां के विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) की खस्ता हालत होना भी है.

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पहले कर सकते थे 17.4 महीने का आयात
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया आंकड़ों के आधार पर ईटी ने खबर दी है कि 31 मार्च 2022 को देश के फॉरेक्स रिजर्व में 607.3 अरब डॉलर की राशि थी. इतनी राशि 2021-22 के कुल आयात के बराबर थी, या इसे अगर दूसरी तरह से देखें तो दिसंबर 2021 के अंत तक भारत पर जो विदेशी कर्ज बकाया है, इस राशि से उसके 98.8% का भुगतान हो सकता है. जबकि सालभर पहले यानी मार्च 2021 के अंत तक इतनी ही राशि से देश के लिए 17.4 महीने का आयात पूरा हो सकता था.

अक्टूबर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर था फॉरेक्स रिजर्व
देश का फॉरेक्स रिजर्व अक्टूबर 2021 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर था. तब ये 642 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. मार्च 2022 के अंत तक आते-आते ये 607 अरब डॉलर का रह गया. जबकि देश में जिन वस्तुओं का आयात होता है उनका दाम दिसंबर 2021 में 60.3 अरब डॉलर के ऑल-टाइम हाई लेवल पर चला गया. 

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कोविड ने बिगाड़ा विदेशी निवेश का खेल
दुनिया में निवेश करने की दृष्टि से भारत अभी भी सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक है. लेकिन खबर के मुताबिक अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 की अवधि में देश में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Net FDI) घटा है. Net FDI से आशय, देश में आने वाले कुल एफडीआई और देश से बाहर जाने वाले निवेश के बीच का अंतर है. अक्टूबर-जनवरी में ये 11 अरब डॉलर रहा है. जबकि बीते साल यानी अक्टूबर 2020 से जनवरी 2021 की अवधि में ये आंकड़ा 18.9 अरब डॉलर था.

कोविड की नई लहर की आशंका से जो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक और एफडीआई करने वाली कंपनियां वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही में जबरदस्त निवेश कर रही थीं. वही सब तीसरी तिमाही में इंडियन मार्केट से निकासी करने लगीं. कोविड के अलावा इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें अमेरिका की मौद्रिक नीति, भू-राजनैतिक परिस्थितियां और शेयर बाजार में गिरावट शामिल हैं.

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