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इकोनॉमी के मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए गुड न्यूज, पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1% GDP ग्रोथ

वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ रेट रिकॉर्ड 20.1 फीसदी रही है. जबकि पिछले साल पहली तिमाही में निगेटिव 23.9 फीसदी ग्रोथ रेट थी. GDP किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे सटीक पैमाना है. 

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जीडीपी के मोर्चे पर सरकार के लिए अच्छी खबर
जीडीपी के मोर्चे पर सरकार के लिए अच्छी खबर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 फीसदी GDP ग्रोथ
  • पिछले साल समान तिमाही में निगेटिव 23.9 फीसदी थी ग्रोथ
  • GDP आंकड़ों से इकोनॉमी में तेजी से सुधार के संकेत

भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी फिर पटरी पर लौट आई है. वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में शानदार जीडीपी के आंकड़े सामने आए हैं. कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार के लिए पहली बार जीडीपी के मोर्चे पर अच्छी खबर आई है. 

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जीडीपी के मोर्चे पर अच्छी खबर 

दरअसल केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी नतीजे जारी कर दिए हैं. पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ रेट रिकॉर्ड 20.1 फीसदी रही है. जबकि पिछले साल समान तिमाही में निगेटिव 23.9 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रही थी. GDP किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे सटीक पैमाना है.

 RBI के अनुमान से थोड़ा कम आंकड़ा 

इससे पहले एसबीआई की इकोरैप रिसर्च रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 18.5 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. वहीं RBI ने अप्रैल-जून 2021 तिमाही के लिए 21.4 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया था. जीडीपी में तेज रिकवरी से इकोनॉमी की गाड़ी पटरी पर लौटने के संकेत मिल रहे हैं. 

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इकोनॉमी पर कोरोना संकट का घटता असर
इकोनॉमी पर कोरोना संकट का घटता असर

कोरोना से इकोनॉमी को तगड़ा झटका

गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा लगा. वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई थी. उसके बाद दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट आई. जबकि तीसरी तिमाही में 0.4% जीडीपी रही. जबकि चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी ग्रोथ रेट 1.6 फीसदी दर्ज की गई. इस तरह से वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट -7.3% फीसदी रही. 

क्या होती है जीडीपी?
किसी देश की सीमा में एक निर्धारित समय के भीतर तैयार सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं. यह किसी देश के घरेलू उत्पादन का व्यापक मापन होता है और इससे किसी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत पता चलती है. इसकी गणना आमतौर पर सालाना होती है, लेकिन भारत में इसे हर तीन महीने यानी तिमाही भी आंका जाता है. कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया.

 

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