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राज्य नहीं केन्द्र दे वैक्सीन का ऑर्डर, भारत की 60% आबादी के लिए 1 अरब डोज जरूरी: IMF

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने देश की 60% आबादी का टीकाकरण करने के लिए कोरोना वैक्सीन की 1 अरब डोज की जरूरत बताई है. साथ ही इस बात पर जोर दिया है कि केन्द्र सरकार को ही इसके लिए ऑर्डर देना चाहिए.

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (File Photo : Aajtak)
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (File Photo : Aajtak)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ‘18+ के वैक्सीनेशन के लिए राज्यों को देना है ऑर्डर’
  • ‘40% आबादी को 2021 तक वैक्सीन देने की जरूरत’
  • ‘कोरोना के खात्मे के लिए IMF का 50 अरब डॉलर का प्लान’

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक डिस्कशन नोट में भारत की 60% आबादी के लिए कोरोना वैक्सीन की 1 अरब खुराक की जरूरत बताई गई है. ये नोट  IMF की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ और इकोनॉमिस्ट रुचिर अग्रवाल ने मिलकर तैयार किया है.

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केन्द्र सरकार दे सेंट्रलाइज्ड ऑर्डर
IMF ने अपने नोट में कोरोना वैक्सीन की केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीयकृत खरीद पर जोर दिया है. नोट में कहा गया है, ‘भारत को जल्द से जल्द कोरोना वैक्सीन की लगभग 1 अरब डोज के लिए पर्याप्त ऑर्डर देने की जरूरत है. इसके लिए सरकार सप्लाई चेन मजबूत करने और अतिरिक्त उत्पादन क्षमता खड़ी करने के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने वाले समझौते कर सकती है.’’

नोट में भारत सरकार के कोरोना वैक्सीन की सेंट्रलाइज्ड खरीद के लिए कहा गया है. अभी केन्द्र सरकार ने 18 से 44 साल की आयुवर्ग के लिए राज्य सरकारों से खुद ग्लोबल ऑर्डर देने के लिए कहा है.

कोरोना के खात्मे के लिए 40% आबादी का वैक्सीनेशन
IMF ने कोरोना को खत्म करने के लिए शुक्रवार को 50 अरब डॉलर ( लगभग 3,650 अरब रुपये) का एक प्रस्ताव रखा. इसका लक्ष्य 2021 के अंत तक दुनिया के हर देश की लगभग 40% आबादी को कोरोना वैक्सीन देने और 2022 की पहली छमाही तक लगभग 60% जनसंख्या का वैक्सीनेशन करने का लक्ष्य रखा गया है.

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IMF के 50 अरब डॉलर के प्लान में 35 अरब डॉलर दुनिया के अमीर देशों, निजी और बहुपक्षीय दानदाताओं से ग्रांट के तौर पर लेने और बाकी 15 अरब डॉलर विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा पूरा किए जाने का लक्ष्य है. विभिन्न देशों की सरकारों को ये रुपया बहुपक्षीय विकास बैंकों की ओर से सस्ते या बिना ब्याज के लोन के तौर पर उपलब्ध कराया जाएगा.

अब तक 35 लाख की जा चुकी है जान
IMF ने कहा कि कोरोना महामारी से अब तक दुनियाभर में 35 लाख से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं. वहीं अनुमान दिखाते हैं कि 2022 में भी स्वास्थ्य को लेकर हालात असमान बनें रहेंगे. यह दुनिया के लिए एक बड़ा जोखिम है.

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