महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को बड़ी राहत मिली है. देश में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) दर 18 महीने के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गई है. खुदरा महंगाई दर में मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में आई गिरावट की वजह से घट हैं. यह लगातार दूसरा ऐसा महीना है, जब कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई दर रिजर्व बैंक के तय लक्ष्य 6 फीसदी से नीचे रही है.मार्च 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.66 फीसदी और एक साल पहले की इसी अवधि में ये 7.79 फीसदी पर थी. अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर 2021 के बाद से सबसे कम है. तब यह 4.48 फीसदी पर थी.
फूड बॉस्केट की दर में गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, फूड बॉस्केट महंगाई दर अप्रैल में 3.84 प्रतिशत रही, जबकि मार्च में यह 4.79 प्रतिशत और एक साल पहले की अवधि में 8.31 फीसदी पर थी. अनाज, दूध और फलों की ऊंची कीमतों और सब्जियों की कीमतों में धीमी गिरावट के कारण खुदरा महंगाई दर दिसंबर 2022 में 5.7 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी 2023 में 6.4 प्रतिशत पर पहुंच गई थी.
रूरल और अर्बन महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है. अप्रैल में ग्रामीण महंगाई दर 4.68 फीसद रहा, जो मार्च में 5.51 फीसदी रहा था. अर्बन इंफ्लेशन रेट 4.85 फीसदी रहा जो मार्च में 5.89 फीसदी पर था. अप्रैल के कोर महंगाई दर 5.2 फीसदी रही, जो मार्च में 5.8 फीसदी पर थी.
मार्च में आई थी गिरावट
मार्च के महीने में CPI यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 5.66 फीसदी दर्ज किया गया था, जबकि फरवरी में यह 6.44 फीसदी रहा था. इस गिरावट के बाद मार्च में खुदरा महंगाई 15 महीने के निचले स्तर पर आ गई थी. देश का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन मार्च में 1.1 फीसदी बढ़ा है. वहीं, एक साल पहले समान अवधि में इसकी ग्रोथ दर 2.2 फीसदी रही थी.
ब्याज दर के मोर्चे पर मिलेगी राहत
महंगाई दर में आई गिरावट की वजह से रिजर्व बैंक एक बार फिर से रेपो रेट को लेकर नरमी बरत सकता है. क्योंकि पिछले वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक ने बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार रेपो रेट में इजाफा किया था. इसकी वजह से बैंकों ने सभी तरह के लोन महंगे कर दिए थे. अब महंगाई दर में आई गिरावट के चलते उम्मीद है कि रिजर्व बैंक अपनी अगली मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में ब्याज दर के मोर्चे पर एक बार फिर से नरमी बरते. क्योंकि पिछली बैठ में रेपो रेट में इजाफा नहीं हुआ था.