भारत की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) में गिरावट दर्ज की गई है. जून के महीने में मुद्रास्फीति 7.01 प्रतिशत रही, जो मई महीने से 0.3 फीसदी कम है. मई के महीने में खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसदी रही थी. लेकिन ये लगातार छठा मौका है, जब महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तय लक्ष्य सीमा से ऊपर है. अप्रैल के महीने में खुदरा मंहगाई दर 7.79 फीसदी रही थी. खाद्य महंगाई दर (Food Inflation) जून में 7.75 फीसदी रही है, जो मई महीने में 7.97 फीसदी थी.
रिजर्व बैंक के अनुमान से अधिक
रिजर्व बैंक ने 2022-23 में महंगाई दर के अपने अनुमान को 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ रखने के लिए अनिवार्य किया है. आरबीआई ने खुदरा महंगाई का लक्ष्य 6 फीसदी रखा था.
खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट
CPI आधारित मुद्रास्फीति मई में 7.04 प्रतिशत, अप्रैल में 7.79 प्रतिशत, मार्च में 6.95 प्रतिशत, फरवरी में 6.07 प्रतिशत और जनवरी में 6.01 प्रतिशत रही थी. खाद्य मुद्रास्फीति, जो सीपीआई बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है. उसमें मामूली गिरावट दर्ज की गई है. जून में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 7.75 फीसदी हो गई, जो पिछले महीने के 7.97 फीसदी रही थी.
सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाए थे
सरकार ने लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए ईंधन की कीमतों में कटौती की थी. मई में पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) घटाने का ऐलान हुआ था. इसके बाद से राज्यों ने भी वैट में कमी की थी. इसके बाद से ही महंगाई दरों में गिरावट आई है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा ने हाल ही में कहा था कि देश में महंगाई अक्टूबर से कम होने लगी है.
रेपो रेट में इजाफा
कोरोना महामारी की वजह भारतीय अर्थव्यवस्था का हाल बेहाल हो गया. हालांकि, धीरे-धीरे इसमें रिकवरी दर्ज की जा रही है. केंद्रीय बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के लिए रेपो रेट में इजाफा करना शुरू किया है. जून के महीने में ही रेपो रेट बढ़ाया गया था. इसके बाद देश के लगभग सभी बैंकों ने लोन पर ब्याज दरों को बढ़ा दिया था. जून में 0.50 फीसदी बढ़े रेपो रेट के बाद ये 4.90 फीसदी हो गया है.