आम आदमी की जेब पर डाका डाल रही महंगाई के सरकारी आंकड़े जारी हो गए हैं. अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) 7.79% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है. जबकि खाद्य मुद्रास्फीति की दर 8.38% रही. महंगाई की ये दर अपने 8 साल के उच्च स्तर पर है. इससे पहले मई 2014 में महंगाई दर 8.33% थी. जबकि मार्च 2022 में खुदरा महंगाई 6.95 फीसदी रही थी. मार्च महीने में भी महंगाई दर 17 महीने के उच्च स्तर पर थी.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई की अपर लिमिट 6% तय की हुई है. महंगाई के लिए टोलरेंस बैंड 2-6 फीसदी रखा है. लेकिन अप्रैल का डेटा दिखाता है कि ये अब उससे काफी ऊपर जा चुकी है. ये लगातार चौथा महीना है जब महंगाई दर आरबीआई की तय लिमिट से ऊपर है. इससे पहले फरवरी में भी खुदरा महंगाई दर 6.07% और जनवरी में 6.01% रही थी. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई के आंकड़े सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने गुरुवार को जारी किए हैं.
खाने-पीने की चीजों के दाम बेकाबू बने हुए हैं. अप्रैल के फूड बास्केट की महंगाई के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं. अप्रैल में खाद्य महंगाई 8.38% पर रही है. जबकि मार्च 2022 में यह 7.68% थी और पिछले साल अप्रैल में 1.96% थी. खाने-पीने की महंगाई बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ खाद्य तेल की कीमतों में तेजी का है. इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट और ईंधन की कीमतों के उच्च स्तर पर बने रहने से भी महंगाई बढ़ी है. खाद्य तेलों की महंगाई दर अप्रैल में सबसे अधिक 17.28% रही. जबकि इसके बाद सब्जियों की महंगाई दर 15.41% बढ़ी. इसके अलावा फ्यूल और लाइट की महंगाई दर अप्रैल में 10.80% रही.
अगर आप महंगाई के आंकड़े देखें तो इसकी मार शहरों के मुकाबले गांव में ज्यादा देखी गई है. अप्रैल 2022 में ग्रामीण स्तर पर खुदरा महंगाई दर 8.38% रही, जबकि शहरों में ये स्तर 7.09% रहा. वहीं खाद्य मुद्रास्फीति के मामले में भी शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर 8.09% रही, जबकि ग्रामीण इलाकों में ये 8.50% रही. मार्च 2022 में शहरी स्तर पर महंगाई दर 6.12% थी, जबकि ग्रामीण स्तर पर 7.66%. वहीं खाद्य महंगाई दर भी मार्च 2022 में शहरी स्तर पर 7.04% थी और ग्रामीण स्तर पर ये 8.04% तक पहुंच गई थी.
महंगाई के बढ़ते स्तर को देखते हुए रिजर्व बैंक ने अप्रैल की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए महंगाई के प्रोजेक्शन को 1.2 फीसदी बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया था. इसके साथ ही सेंट्रल बैंक ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) का फोरकास्ट 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था. इसके बाद मई महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने एक आपात बैठक की और रेपो दर 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी करने का ऐलान किया.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 06 जून से 08 जून के दौरान होने वाली है. तब महंगाई को काबू करने के लिए रेपो दर को और बढ़ा सकता है. बदले हालात में अब महंगाई के फिलहाल कम होने की कोई गुंजाइश नहीं है. इसी कारण रिजर्व बैंक समेत तमाम सेंट्रल बैंक इकोनॉमी में हर संभव डिमांड को समाप्त करना चाहते हैं.
यूक्रेन संकट शुरू होने से पहले रिजर्व बैंक को लग रहा था कि खुदरा महंगाई मार्च में अपने पीक पर रहेगी. अप्रैल से इसमें ढलान आने लगेगी और यह धीरे-धीरे घटकर 4 फीसदी पर आ जाएगी.
इस बीच एक अच्छी खबर ये है कि देश का औद्योगिक उत्पादन मार्च 2022 में 1.9% बढ़ा है. मंत्रालय ने इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन का डेटा भी शेयर किया है.
ये भी पढ़ें: