भारत ने पिछले दिनों तत्काल प्रभाव से टूटे चावल के निर्यात (Broken Rice Export) पर रोक लगा दिया था. भारत के इस फैसले से चीन में खाद्य संकट उत्पन्न (Food Crisis in China) हो सकता है. बीजिंग टूटे चावल का शीर्ष खरीदार माना जाता है. इस वजह से चीन में खाद्यान्न की सप्लाई टाइट होती दिख रही है. चीन में टूटे चावल का इस्तेमाल मुख्य रूप से नूडल्स, शराब और पशुओं के लिए बनाए जाने वाले चारे के लिए किया जाता है. भारत अफ्रीका के कुछ देशों को भी टूटे चावल का निर्यात करता है. लेकिन पड़ोसी चीन इसका सबसे बड़ा खरीदार है.
टूटे चावल की हिस्सेदारी
सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export Duty) लगाने का फैसला किया है. साथ ही घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए टूटे चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया गया है. भारत के कुल चावल निर्यात में लगभग 60 फीसदी हिस्सेदारी टूटे चावल की है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. ग्लोबल चावल व्यापार में इसकी 40 फीसदी हिस्सेदारी है. भारत 150 से अधिक देशों को चावल का निर्यात करता है.
भारत से चीन का कुल आयात
भारत कुछ अफ्रीकी देशों के लिए टूटे चावल का एक महत्वपूर्ण सप्लायर है. लेकिन चीन कृषि सूचना नेटवर्क के प्रकाशित एक आर्टिकल के अनुसार, चीन भारतीय टूटे चावल का सबसे बड़ा खरीदार है. चीन ने 2021 में भारत से 1.1 मिलियन टन (11 लाख टन) टूटे हुए चावल का आयात किया था. 2021 में भारत का कुल 21.5 मिलियन टन चावल का निर्यात किया था. एक्सपोर्ट का ये आंकड़ा दुनिया के शीर्ष चार निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका के कुल निर्यात से अधिक है.
ग्लोबल मार्केट बढ़ सकता है संकट
टूटे चावल के निर्यात पर भारत के लगाए प्रतिबंध की वजह से वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें बढ़ सकती हैं. जिससे खाद्य महंगाई दर में इजाफा हो सकता है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक खाद्य बाजार पहले से ही संकटों का सामना कर रहा है. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद गेहूं और मक्के की कीमतों में उछाल आई थी. इसके उलट चावल ही एक ऐसा खाद्य पदार्थ रहा, जिसने पर्याप्त स्टॉक के कारण बड़े खाद्य संकट के वक्त में मदद की है. लेकिन भारत के निर्यात पर लिए गए फैसले अब ये संकट बढ़ सकता है.
सरकार ने क्यों लगाया प्रतिबंध?
भारत में चालू खरीफ सीजन में धान फसल का रकबा काफी घट गया है. ऐसे में घरेलू सप्लाई को बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. देश के नागरिकों को चावल की कमी ना हो. इसलिए सरकार सप्लाई को बरकार रखने की पूरी कोशिश कर रही है. राजस्व विभाग के नोटिफिकेशन के अनुसार, चावल और ब्राउन राइस पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाया गया है.
चावल निर्यात का आंकड़ा
देश के कुछ राज्यों में बारिश कम होने की वजह से धान का बुवाई क्षेत्र घटा है. चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है. चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40 फीसदी है. भारत ने 2021-22 के वित्त वर्ष में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था. इसमें 39.4 लाख टन बासमती चावल था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में गैर-बासमती चावल का निर्यात 6.11 अरब डॉलर का रहा. भारत ने 2021-22 के दौरान विश्व के 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया.