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इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स में 26 पायदान नीचे खिसका भारत, 105वें स्थान पर 

ग्लोबल इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स 2020 में भारत 26 स्थान नीचे खिसककर 105वें स्थान पर पहुंच गया है. साल 2019 की रिपार्ट में भारत 79वें स्थान पर था. इस सूची में हांगकांग और सिंगापुर क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर तथा चीन 124वें स्थान पर है.

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नीचे खिसका भारत
नीचे खिसका भारत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स में 26 स्थान नीचे हुआ भारत
  • भारत में कारोबारी खुलापन, आजादी में आई कमी
  • सूची में हांगकांग पहले और सिंगापुर दूसरे स्थान पर है

ग्लोबल इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स 2020 में भारत 26 स्थान नीचे खिसककर 105वें स्थान पर पहुंच गया है. इसका आशय यह है कि भारत में आर्थिक-कारोबारी गतिविधियों के मामले में आजादी, खुलापन कम हो गई है. 

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साल 2019 की रिपार्ट में भारत 79वें स्थान पर था. यह रिपोर्ट कनाडा की फ्रेजर इंस्टीट्यूट द्वारा भारत के थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी के साथ मिलकर जारी की जाती है. 

ये देश हैं टॉप पर 
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस सूची में हांगकांग और सिंगापुर क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर तथा चीन 124वें स्थान पर है. सूची में पहले दस देशों में न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, मॉरीशस, जॉर्जिया, कनाडा और आयरलैंड शामिल हैं. जापान को सूची में 20वां, जर्मनी को 21वां, इटली को 51वां, फ्रांस को 58वां, रूस को 89वां और ब्राजील को 105वां स्थान मिला है. जिन देशों को सबसे नीचे स्थान मिला है उनमें अफ्रीकी देश, कांगो, जिम्बाब्वे, अल्जीरिया, ईरान, सूडान, वेनेजुएला आदि शामिल हैं. 

क्यों आई गिरावट 

रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक वर्ष में सरकार के आकार, न्यायिक प्रणाली और सम्पत्ति के अधिकार, वैश्विक स्तर पर व्यापार की स्वतंत्रता, वित्त, श्रम और व्यवसाय के रेगुलेशन जैसी कसौटियों पर भारत की स्थिति थोड़ी खराब हुई है. 

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हर पैमाने में कमी 

दस अंक के पैमाने पर सरकार के आकार के मामले में भारत को एक साल पहले के 8.22 के मुकाबले 7.16 अंक, कानूनी प्रणाली के मामले में 5.17 की जगह 5.06, अंतरराष्ट्रीय व्यापार की स्वतंत्रता के मामले में 6.08 की जगह 5.71 और वित्त, श्रम तथा व्यवसाय के रेगुलेशन के मामल में 6.63 की जगह 6.53 अंक मिले हैं. 

इसमें प्राप्तांक दस के जितना करीब होता है आर्थिक स्वतंत्रता उसी अनुपात में अधिक मानी जाती है.रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आर्थिक स्वतंत्रा बढ़ने की संभावनाएं अगली पीढ़ी के सुधारों तथा अंतराष्ट्रीय व्यापार के खुलेपन पर निर्भर करेंगी. 

सेंटर फॉर सिविल ​सोसाइटी के प्रेसिडेंट पार्थ जे शाह का कहना है कि यह रैंकिंग साल 2018 के डेटा के आधार पर तैयार की गई है, इसलिए इसके बाद लगे कई अंकुश तो भारत के स्कोर में प्रदर्शित ही नहीं हैं. उनका कहना है कि 2018 के बाद भारत ने इंटरनेशनल ट्रेड पर अंकुश लगाये हैं, कर्ज बाजार में सख्ती बढ़ाई है. यानी अगले साल की रिपोर्ट में भारत की स्थिति और खराब हो सकती है. 

कुल 162 देशों पर है रिपोर्ट 

यह रिपोर्ट 162 देशों और अधिकार क्षेत्रों में आर्थिक स्वतंत्रता को आंकती है. यानी इन 162 देशों में ही भारत को 105वां जैसा काफी नीचे का स्थान दिया गया है. इनमें व्यक्तिगत पसंद का स्तर, बाजार में प्रवेश की योग्यता, निजी सम्पति की सुरक्षा, कानून का शासन सहित अन्य मानकों को देखा जाता है. 

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