भाजपा नेता और पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि इसमें गरीब लोगों को सपोर्ट किया गया है. उन्होंने कहा कि अब सरकार ज्यादा से ज्यादा जॉब क्रिएट करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इसपर पलटवार करते हुए कहा कि यूपीए सरकार में 27 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया, जबकि मोदी सरकार में 4.6 करोड़ लोग गरीब हो गए.
आर्थिक मामलों पर पकड़ रखने वाले दोनों नेता आज तक के सहयोगी चैनल इंडिया टुडे के बजट राउंडटेबल 2022 में एक चर्चा में हिस्सा ले रहे थे. कार्यक्रम में फाइनेंस पर ससंद की स्थाई समिति के चेयरमैन जयंत सिन्हा ने कहा कि यह बजट और पिछले साल का बजट गरीब लोगों को सपोर्ट करने के लिए था. अब सरकार ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. उन्होंने जन कल्याण की योजनाओं पर मोदी सरकार के दौरान किए गए खर्च का हवाला दिया.
सिन्हा ने साथ ही कहा, "हमने फूड सिक्योरिटी सेक्टर पर 3.4 लाख करोड़ रुपये, नरेगा पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा और फर्टिलाइजर सब्सिडी पर 1.4 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं. अगर NREGA के लिए अधिक फंड की जरूरत होगी तो हम स्पेंडिंग बढ़ाएंगे. जहां भी जरूरत पड़ेगी वहां हम सपोर्ट करेंगे."
इस पर मनीष तिवारी ने कहा कि जब यूपीए की सरकार थी, भारतीय इकोनॉमी 10 साल तक 7.8 से 8 फीसदी की रफ्तार से ग्रो कर रही थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद स्वीकार किया है कि यूपीए सरकार के दौरान 27 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया. अब इस सरकार में 4.6 करोड़ लोगों को वापस गरीबी में धकेल दिया गया है. अभी भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ बमुश्किल 1.2-1.3 फीसदी होगी.
उन्होंने कहा कि दुनिया भर की ज्यादातर सरकारें लोगों को डायरेक्ट इनकम सपोर्ट देती हैं. भारत सरकार इसके बजाय कर्ज देती है. नवंबर 2021 में मनरेगा के जरिए 2.11 करोड़ लोग काम मांग रहे थे. दिसंबर 2021 में ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 2.47 करोड़ पर पहुंच गई. दुर्भाग्य की बात है, यह सरकार संसद को ये बताने से हिचकिचाती है कि चीन के साथ जारी विवाद पर क्या खर्च हुआ है.