आने वाले दिनों में डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपये (Indian Currency) में और गिरावट देखी जा सकती है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि व्यापार घाटा बढ़ने और अमेरिकी फेडरल बैंक (Federal Bank) के ब्याज दरों (Interest Rate) में बढ़ोतरी के चलते आने वाले दिनों में रुपया और अधिक टूट सकता है. अर्थशास्त्रियों के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर 82 रुपये तक गिर सकता है. हालांकि, अभी फेडरल बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान नहीं किया है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व 26-27 जुलाई की बैठक में ब्याज दरों में 0.50-0.75 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकता है.
फेडरल के ब्याज दरों में इजाफा करने से भारत जैसे उभरते बाजारों से विदेशी पूंजी की निकासी तेज हो सकती है. डॉलर की निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से रुपये की कीमत में और गिरावट आ सकती है. पिछले हफ्ते रुपया डॉलर के मुकाबले 80.06 रुपये के सबसे निचले स्तर पर तक पहुंच गया था.
अगले साल तक सुधार की संभावना
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) में स्थिरता और जियो पॉलिटिकल (Geopolitical) स्थिति में सुधार की संभावना के साथ रुपया अगले साल मार्च तक प्रति डॉलर 78 रुपये के स्तर तक आ सकता है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने पीटीआई को बताया- 'कुल मिलाकर हमने यह आकलन किया कि रुपया प्रति डॉलर के मुकाबले 79 रुपये के आसपास स्थिर हो सकता है. यह पूरे वर्ष के लिए औसत वैल्यू होगी'.
विदेशी निवेशकों पर निर्भर
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा- 'डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू अंत में वैश्विक धारणा और विदेशी निवेशकों के पोर्टफोलियो (FPI) प्रवाह से ही तय होगी. इसी से निर्धारित होगा कि आने वाले महीनों में रुपया और टूटेगा या फिर मंदी की आशंका की वजह से अमेरिकी डॉलर की ताकत घटेगी. नोमुरा के अनुसार, जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान रुपया प्रति डॉलर के मुकाबले 82 रुपये के स्तर तक टूट सकता है'.
व्यापार घाटा बढ़ने का असर
क्रिसिल को उम्मीद है कि निकट अवधि में रुपये पर दबाव रहेगा और व्यापार घाटा बढ़ने से रुपया-डॉलर विनिमय दर अस्थिर रहेगा. क्रिसिल की प्रमुख अर्थशास्त्री दीप्ति देशपांडे ने कहा कि वित्तीय वर्ष के अंत में दबाव कम हो सकता है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है.
कच्चे तेल, कोयले और सोने के महंगे आयात के कारण जून में व्यापार घाटा रिकॉर्ड 26.18 अरब डॉलर पर पहुंच गया. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून में घाटा बढ़कर 70.80 अरब डॉलर हो गया है.