विदेशी निवेशकों (FPI) की लगातार बिकवाली के बीच रुपये में लगातार गिरावट जारी है. बुधवार को रुपया (Indian Rupees) 40 पैसे गिरकर 20 महीने के निचले स्तर पर आ गया. डॉलर (US Dollar) की मजबूती से भी रुपये के ऊपर दबाव है.
अप्रैल 2020 के बाद सबसे कमजोर है रुपया
इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में बुधवार को रुपये ने गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की. सत्र समाप्त होने पर रुपया एक दिन पहले के स्तर से 40 पैसे नीचे आ गया और डॉलर के मुकाबले 76.28 पर बंद हुआ. यह 24 अप्रैल 2020 के बाद रुपये का सबसे कमजोर स्तर है.
इन कारणों से कमजोर हो रहा रुपया
मंगलवार को भी रुपया 10 पैसे गिरकर 75.88 पर बंद हुआ था. रुपये में आ रही लगातार गिरावट के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जा रहा है. इनमें सबसे बड़ा कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली है. एफपीआई मंगलवार को भी नेट सेलर रहे और उन्होंने बाजार से 763.18 करोड़ रुपये निकाल लिए. कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) के चलते छाई अनिश्चितता ने भी रुपये को कमजोर किया. इन्वेस्टर फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की नीतिगत घोषणा को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मिलवुड केन इंटरनेशनल के फाउंडर व सीईओ निश भट्ट की राय है कि रुपये की यह गिरावट काफी हद तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेजी से फैलने के डर के कारण है. एशियाई बाजारों में यूएस फेड की बैठक से पहले नरमी का माहौल है. ऐसा माना जा रहा है कि फेडरल रिजर्व लिक्विडिटी टाइट करने का उपाय कर सकता है. इससे अमेरिका के बाहर के बाजारों खासकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं से इन्वेस्टर निकासी करने पर मजबूर होंगे. अमेरिका में महंगाई कई दशक के उच्च स्तर पर है, ऐसे में फेडरल रिजर्व के पास तत्काल कदम उठाने के अलावा अन्य विकल्प नहीं बचे हैं.