महामारी (Pandemic) के साये में गुजरा 2021 रुपये के लिए अच्छा साल साबित नहीं हुआ है. इस साल रुपया (INR) अब तक करीब चार फीसदी गिर चुका है. बीते दिनों यह 20 महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गया था. इस बीच रुपये को हालिया समय में एशिया की सबसे खराब परफॉर्म करने वाली करेंसी (Asia's Worst Currency) कहा जाने लगा है.
डॉलर के मुकाबले 78 तक गिर सकता है रुपया
लगातार गिरावट के बाद रुपया मंगलवार के कारोबार में कुछ मजबूती दिखा रहा है. इससे पहले रुपये में लगातार गिरावट आई है. अकेले दिसंबर तिमाही में रुपया करीब दो फीसदी कमजोर हो चुका है. इस बीच ब्लूमबर्ग के एक सर्वे (Bloomberg Survey) में रुपये के 76.50 प्रति डॉलर के स्तर तक गिरने का अंदेशा जताया गया है. कुछ एनालिस्ट (Analyst) तो भारतीय करेंसी के डॉलर के मुकाबले 78 तक गिरने की आशंका जता रहे हैं.
रिकॉर्ड निकासी कर रहे हैं फॉरेन इन्वेस्टर
भारतीय रुपया के इस खराब परफॉर्मेंस की वजह विदेशी इन्वेस्टर्स (FPI) की लगातार बिकवाली है. एफपीआई भारतीय बाजार से लगातार पैसा समेट रहे हैं, इसके चलते बीएसई सेंसेक्स अक्टूबर के हाई से करीब 10 फीसदी नीचे आ चुका है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी इन्वेस्टर दिसंबर क्वार्टर में स्टॉक मार्केट से 4.2 बिलियन डॉलर की भारी-भरकम निकासी कर चुके हैं. बांड मार्केट से एफपीआई ने इस तिमाही में अब तक 587 मिलियन डॉलर की निकासी की है.
इन कारणों से रुपये की हालत पतली
हाल ही में Goldman Sachs और Nomura Hodings ने भारतीय शेयर बाजारों के आउटलुक को घटाया है. दोनों ने इसके पीछे तर्क दिया है कि भारतीय शेयर बाजार की वैल्यूएशन वास्तविकता से काफी अधिक है. इसके बाद विदेशी इन्वेस्टर लगातार भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं, जिससे मार्केट में डॉलर की कमी हो रही है. फेडरल रिजर्व के हालिया संकेतों ने भी रुपये की हालत खराब की है. जैसे ही फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ाने का संकेत दिया, भारत जैसे उभरते बाजारों से इन्वेस्टर डॉलर निकालने में जुट गए.