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Gatik Shipping Management: दो साल में बदली किस्मत, 2 टैंकर से शुरुआत... अब दुनियाभर में कंपनी की धूम

Gatik Shipping Management कंपनी रूस-यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद चर्चा में आई और इसका कारोबार महज दो सालों में रॉकेट की रफ्तार से आगे बढ़ा. साल 2021 में कंपनी के पास दो टैंकर थे और अब इसके बेड़े में 50 से ज्यादा मालवाहक जहाज शामिल हैं.

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रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद इस शिपिंग कंपनी की चर्चा जोरों पर
रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद इस शिपिंग कंपनी की चर्चा जोरों पर

किस्मत कब बदल जाए कोई नहीं कह सकता, कई मामलों में देखने को मिला कि एक झटके में इंसान फर्श से अर्श पर पहुंच जाता है. इसका ताजा उदाहरण एक भारतीय ऑयल शिपिंग कंपनी है, जिसे दो साल पहले कम ही लोग जानते थे, लेकिन आज इसकी गिनती दुनिया की सबसे बड़ी Oil Shipping Firms में होती है. इस कंपनी का नाम गतिक शिपिंग मैनेजमेंट (Gatik Shipping Management) है. रॉकेट की रफ्तार से आगे बढ़ी इस कंपनी ने अचानक सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. आइए इसके बारे में जानते हैं...

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रॉकेट की रफ्तार से बढ़ा कंपनी का कारोबार
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, Gatik Shipping Management ने सिर्फ दो साल में जमीन से आसमान की बुलंदियों का सफर तय किया है. साल 2021 में इस शिपिंग कंपनी के पास दो ऑयल टैंकर थे, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद इसका बेड़ा बढ़ता गया और कारोबार में तेजी आती गई. फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से इस कंपनी पर सबकी निगाहें इसलिए टिक गईं, क्योंकि इसने वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक तेल टैंकरों की खरीद की. इस कंपनी ने अपने नाम गतिक की तरह ही तेजी से कारोबार में रफ्तार पकड़ी और दुनिया की सबसे बड़ी ऑयल शिपिंग कंपनियों में शामिल हो गई.  

दो से 50 के पार पहुंचा जहाजों का बेड़ा!
रिपोर्ट में फाइनेंशियल टाइम्स के हवाले से बताया गया है कि साल 2021 की तुलना में इस तमय अप्रैल 2023 तक गतिक शिपिंग मैनेजमेंट के बेड़े में शामिल मालवाहक जहाजों का आंकड़ा 50 के पार पहुंच चुका है. कथित तौर पर कंपनी ने रूसी तेल पर यूरोपीय संघ का प्रतिबंध शुरू होने के बाद मार्च 2022 से अब तक कम से कम 56 मालवाहक जहाजों का अधिग्रहण किया है, इनमें से 13 जहाज दिसंबर 2022 में अधिग्रहित किए गए हैं. ऑयल कंपनी की ओर से अचानक की गई इस बड़ी खरीदारी ने Gatik Shipping Management को दुनिया के सबसे बड़े ऑलय टैंकर मालिकों की लिस्ट में डाल दिया. यहां बता दें गतिक के अलावा सिर्फ 20 कंपनियों के पास 50 या उससे अधिक मालवाहक जहाज हैं. 

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बड़ी खरीदारी
ऑयल शिपिंग कंपनी के बेड़े में शामिल इन जहाजों का अनुमानित मूल्य लगभग 1.6 अरब डॉलर है. रिपोर्ट्स की मानें तो इन सभी जहाजों की खरीदारी रूस के यूक्रेन पर हमला (Russia-) करने के बाद की गई है. शिपिंग बिजनेस पर निगाह रखने वाले एक एक्सपर्ट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कंपनी के बिजनेस का पैमाना इस बात का सूचक है कि कंपनी की महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ अच्छी बॉन्डिंग और निकटता है. इस तरह से अचानक और बड़े पैमाने पर कारोबार बढ़ने के पीछे निश्चित रूप से एक कहानी हो सकती है. सबसे खास बात ये है कि इस ऑयल शिपिंग कंपनी की उत्पत्ति और स्वामित्व पर भी रहस्य गहराया हुआ है. 

कंपनी का कॉरपोरेट डाटा मौजूद नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक, इसके कॉरपोरेट रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं हैं. एक और खास बात ये है कि Gatik Shipping Management का रजिस्टर्ड पता बुएना विस्टा शिपिंग के साथ मुंबई का एक सुनसान पड़ा मॉल है. बता दें बुएना विस्टा शिपिंग (Buena Vista Shipping) भी एक रहस्यमयी कंपनी है, जिसने 2 साल पहले महज 1 लाख डॉलर मूल्य के एसेट की जानकारी दी थी. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद जो प्रतिबंध लगाए गए, उसके बाद भारत ने रूसी तेल के आयात को बढ़ाने का विकल्प चुना. गतिक शिपिंग भी इसी बीच चर्चा में आई. कंपनी ने भांडुप में नेपच्यून मॉल में बुएना विस्टा शिपिंग के साथ अपना पता साझा किया और इसके डाक पते में नेप्च्यून मैग्नेट मॉल का उल्लेख है.

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रूसी कंपनी Rosneft से नाता?
इंडिया टुडे की टीम ने जब कंपनी के पते यानी नेप्च्यून मैग्नेट मॉल पर पहुंचकर ज्यादा जानकारी इकठ्ठा करनी चाही, तो यहां पता लगा कि बुएना विस्टा ने अब अपना परिचालन स्थानांतरित कर दिया है. कार्यालय के दरवाजे बंद कर दिए गए थे और साइनबोर्ड भी हटा दिया गया था. इसके बाद जब पवई में बुएना विस्टा शिपिंग कार्यालय से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो लेकिन मीडिया मैनेजर से मिलने तक की अनुमति नहीं दी गई. कंपनी के कर्मचारियों की ओर से कहा गया कि हमारे प्रतिनिधि आपके प्रश्न पर आपसे खुद संपर्क करेंगे. अब गतिक शिपिंग मैनेजमेंट के कारोबार में अचानक आई इस रफ्तार को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं, कई रिपोर्ट्स में इस कंपनी का संबंध रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) के साथ भी बताया जा रहा है.

 
 

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