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Indian Wheat Export: भारत से गेहूं की डिमांड कर रहे ये 5 देश, अरब मुल्क भी शामिल

भारत को गेहूं के सबसे बड़े खरीदार इंडोनेशिया (Indonesia) और बांग्लादेश (Bangladesh) समेत 5 देशों से गेहूं के लिए आवेदन मिले हैं. इनके अलावा ओमान (Oman), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यमन (Yemen) जैसे खाड़ी देशों ने भी गेहूं के लिए अनुरोध भेजा है.

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भारत से गेहूं मांग रहे कई देश
भारत से गेहूं मांग रहे कई देश
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पिछले महीने भारत ने निर्यात पर लगाई थी रोक
  • भाजपा प्रवक्ताओं के बयान से पैदा हुआ विवाद
  • रूस-यूक्रेन जंग ने बढ़ाई भारत की अहमियत

पैगंबर मोहम्मद विवाद (Prophet Mohammad Row) के बाद भारत को मुस्लिम देशों खासकर खाड़ी देशों (Gulf Countries) में व्यापक स्तर पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. इस विवाद को लेकर न सिर्फ भारत में हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए हैं, बल्कि कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से बाहर भी प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना पड़ा है. कई खाड़ी देशों से तो ऐसी भी खबरें आईं कि वहां भारतीय सामानों का बहिष्कार (Boycott Indian Goods) किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर विभिन्न कारणों से दुनिया के सामने उपस्थित खाद्य संकट (Food Crisis) के बीच ऐसे पांच देशों ने भारत से गेहूं भेजने की रिक्वेस्ट की है, जहां भारत के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे.

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जरूरत और उपलब्धता का हो रहा मूल्यांकन

खबरों की मानें तो भारत को गेहूं के सबसे बड़े खरीदार इंडोनेशिया (Indonesia) और बांग्लादेश (Bangladesh) समेत 5 देशों से गेहूं के लिए रिक्वेस्ट मिली हैं. खबरों में एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा जा रहा है, 'गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद भारत को इंडोनेशिया, बांग्लादेश, ओमान (Oman), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यमन (Yemen) से गेहूं के लिए अनुरोध मिले हैं. सरकार गेहूं की उनकी जरूरतों और घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता का मूल्यांकन कर रही है.'

बैन के बाद भी जरूरतमंद देशों को मिलेगा गेहूं

रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से छिड़ी जंग (Russia-Ukraine War) ने दुनिया भर में खाने का संकट (Food Crisis) पैदा कर दिया है. चूंकि दोनों देश गेहूं के सबसे बड़े निर्यातकों (Wheat Exporters) में शामिल हैं, लड़ाई के चलते उनका निर्यात बाधित हुआ है और कई देशों के सामने गेहूं की कमी (Wheat Shortage) की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

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इस बीच गेहूं के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश (2nd Biggest Wheat Producer) भारत ने घरेलू उपलब्धता बनाए रखने के लिए गेहूं के निर्यात पर 13 मई को पाबंदियां लगा दी. इसने पहले से उपस्थित संकट को और गंभीर बना दिया.

हालांकि भारत ने निर्यात पर रोक लगाते हुए कहा था कि वह पड़ोसी देशों और जरूरतमंद देशों को गेहूं का निर्यात करते रहेगा. हाल ही में भारत ने इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत कुछ देशों को 5 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी दी थी. इसके साथ ही केंद्र सरकार 12 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी देने की तैयारी में है.

इस कारण बांग्लादेश को और गेहूं की जरूरत

व्यापार के जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश अभी भारत से और गेहूं खरीदने की तैयारी में है. पड़ोसी देश गेहूं के मामले में पूरी तरह से आयात पर निर्भर है और पिछले साल उसने अपनी जरूरत का करीब आधा हिस्सा भारत से खरीदा था. इसके अलावा बांग्लादेश रूस और यूक्रेन से भी अच्छी-खासी खरीदारी करता आया है.

साल 2020 के आंकड़ों को देखें तो बांग्लादेश ने रूस से 1.8 बिलियन डॉलर का और यूक्रेन से 610.80 बिलियन डॉलर का गेहूं खरीदा था. वहीं भारत ने 2021-22 में बांग्लादेश को 01 बिलियन डॉलर का गेहूं निर्यात किया था.

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अन्य देशों से कम है भारतीय गेहूं की कीमत

जानकारों का कहना है कि भारतीय गेहूं की डिमांड के पीछे एक बड़ा कारण इसकी कम कीमतें हैं. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, कीमतें बढ़ने के बाद भी भारतीय गेहूं अंतरराष्ट्रीय भाव की तुलना में 40 फीसदी सस्ते में उपलब्ध है.

भारत भले ही गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (India Wheat Production) है, लेकिन इसके निर्यात के मामले में भारत काफी पीछे है. भारत सामान्य तौर पर अफगानिस्तान (Afganistan), बांग्लादेश (Bangladesh), श्रीलंका (Srilanka) और नेपाल (Nepal) जैसे पड़ोसी देशों के अलावा संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यमन (Yemen), ओमान (Oman), कतर (Qatar) जैसे खाड़ी देशों (Gulf Countries) को गेहूं बेचता है. इनके अलावा इंडोनेशिया (Indonesia) और मलेशिया (Malaysia) भी भारतीय गेहूं के प्रमुख खरीदार हैं.

रूस-यूक्रेन के गेहूं पर ऐसी है निर्भरता

बांग्लादेश के अलावा अन्य देशों को देखें तो इंडोनेशिया दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा खरीदार (Largest Wheat Importer) है. साल 2020 में इस देश ने यूक्रेन से सबसे ज्यादा 543 मिलियन डॉलर का गेहूं खरीदा था. वहीं भारत ने इस देश को 2021-22 में करीब 105 मिलियन डॉलर गेहूं का निर्यात किया था.

इसी तरह यमन भी रूस और यूक्रेन से गेहूं खरीदता आया है. इस देश ने 2020 में रूस से 174.31 मिलियन डॉलर और यूक्रेन से 144.40 मिलियन डॉलर का गेहूं खरीदा. संयुक्त अरब अमीरात ने 2020 में रूस से 146 मिलियन डॉलर के गेहूं की खरीदारी की. अब रूस और यूक्रेन का निर्यात बाधित हो जाने के बाद ये देश अपने घरेलू बाजार में रोटी की किल्लत टालने के लिए भारत से आस लगा रहे हैं.

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ये देश हैं भारतीय गेहूं के पारंपरिक खरीदार

आंकड़ों पर गौर करें तो बीते साल भारत ने बांग्लादेश को 40.8 लाख टन गेहूं का निर्यात किया. नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुल गेहूं निर्यात का 55.9 फीसदी अकेले बांग्लादेश खरीदता है. इसके बाद श्रीलंका की 7.9 फीसदी, संयुक्त अरब अमीरात की 6.9 फीसदी, इंडोनेशिया की 5.9 फीसदी, यमन की 5.3 फीसदी और फिलीपींस की 5.1 फीसदी हिस्सेदारी है.

इसी तरह भारत के गेहूं निर्यात में नेपाल की 3.8 फीसदी, दक्षिण कोरिया की 2.4 फीसदी, कतर की 1.7 फीसदी हिस्सेदारी है. रूस (Russia) अभी गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है, जबकि भारत का इस मामले में आठवां स्थान है. रूस के अलावा यूरोपीय संघ (EU), ऑस्ट्रेलिया (Australia), कनाडा (Canada), अमेरिका (US), अर्जेंटीना (Argentina) और यूक्रेन (Ukraine) भारत से ज्यादा गेहूं का निर्यात करते हैं.

 

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