दुनिया में मन लगाकर काम करने वालों में भारतीय एम्प्लॉई का कोई सानी नहीं है. इतना ही नहीं वह मुश्किल चुनौतियों के बीच भी अच्छा काम करने में आगे हैं. जानें इससे जुड़ी वर्ल्ड स्टडी में और क्या-क्या आया सामने...
दुनिया में पहले नंबर पर
Global Workplace Study 2020 के हिसाब से 32% भारतीय एम्प्लॉई कठिनतम परिस्थितियों में काम करने को तैयार रहते हैं. जबकि इस मामले में दुनिया का औसत 17% है.
सबसे ज्यादा डेडिकेटेड
अध्ययन के हिसाब से भारतीय एम्प्लॉई अपने काम को लेकर प्रतिबद्ध रहने के मामले में भी दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं. करीब 20% भारतीय एम्प्लॉई अपने काम को रम के करते हैं, जबकि इसका वैश्विक औसत 14% है.
रम जाना अच्छा संकेत
यह अध्ययन वैश्विक एचआर और पेरोल कंपनी एडीपी ने किया है. एडीपी ने अपने अध्ययन में काम में रम जाने को एक सकारात्मक मानसिक स्थिति के तौर पर देखा है.
25 से अधिक देशों में हुई स्टडी
एडीपी ने दुनिया के 25 से अधिक देशों में यह स्टडी की है. इसमें 26,500 से अधिक एम्प्लॉई ने हिस्सा लिया. अध्ययन का मकसद कोविड-19 से लोगों के काम करने के तौर-तरीकों पर पड़ने वाले असर का पता लगाना था.
भारतीय फिर उठ खड़े होने वाले
एडीपी इंडिया के प्रबंध निदेशक राहुल गोयल ने कहा कि अध्ययन के परिणाम चौंकाने वाले हैं. विशेषकर कोविड-19 के साथ जिन लोगों का व्यक्तिगत अनुभव रहा उसने बताया कि वह कठिन परिस्थितियों में और बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं. इस अध्ययन के परिणाम ने एक बार फिर इसी बात को साबित किया है कि किसी संकट या बुरे वक्त के बाद भारतीय अधिक मजबूती से वापस आते हैं.
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