scorecardresearch
 

जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले ये 25 नाम, Mehul Choksi नंबर-1 विलफुल डिफॉल्टर

संसद में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Bhagwat Karad) ने बताया कि बीते 5 वित्त वर्षों में विभिन्न बैंकों ने 9.91 लाख करोड़ का लोन बट्टे खाते में डाला है. सबसे ज्यादा लोन को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने बट्टे खाते में डाला है. इसके बाद यूनियन बैंक और पंजाब नेशनल बैंक रहा.

Advertisement
X
भारत के 25 सबसे बड़े विलफुल डिफॉल्टर
भारत के 25 सबसे बड़े विलफुल डिफॉल्टर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गीतांजलि जेम्स पर बैंकों का करीब 7,110 करोड़ बकाया
  • 2022 के अंत में विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या 2,790 रही

भारत के 25 सबसे बड़े विलफुल डिफॉल्टरों (Wilful Defaulters) पर देश की विभिन्न बैंकों का लगभग 58,958 करोड़ रुपये बकाया है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Bhagwat Karad) ने मंगलवार को संसद में यह जानकारी साझ की. इस मामले में नंबर एक पर भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) है. 

Advertisement

सरकार ने संसद में पेश किए आंकड़े
सरकार की ओर से केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने संसद में सबसे बड़े Wilful Defaulters का 31 मार्च 2022 तकर का आंकड़ा पेश किया. इसके मुताबिक, सबसे बड़ी विलफुल डिफॉल्टर कंपनी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) के नेतृत्व वाली गीतांजलि जेम्स लिमिटेड (Gitanjali Gems Ltd) है. इस पर विभिन्न बैंकों का करीब 7,110 करोड़ रुपये का बकाया है. लिस्ट में दूसरे नंबर पर एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड (Era Infra Engineering) है. इसके ऊपर बैंकों का करीब 5,879 करोड़ रुपये का कर्ज है. 

अन्य बड़ी विलफुल डिफॉल्टर कंपनियां

कंपनी का नाम बैंकों का बकाया
कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लिमिटेड 4107 करोड़ रुपये
आरआईई एग्रो लिमिटेड 3984 करोड़ रुपये
एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड 3708 करोड़ रुपये
फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड 3108 करोड़ रुपये
विन्सम डायमंड एंड ज्वेलरी लिमिटेड 2671 करोड़ रुपये
रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड 2481 करोड़ रुपये
कोस्टल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड 2311 करोड़ रुपये
कूडोस चेमी लिमिटेड 2082 करोड़ रुपये
जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड 1818 करोड़ रुपये
वेस्ट फूड लिमिटेड 1653 करोड़ रुपये
फॉरएवर प्रेसियस ज्वैलरी लिमिटेड 1639 करोड़ रुपये
डेक्कन क्रोनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड 1594 करोड़ रुपये
सिद्धि विनायक लॉजिस्टिक्स लिमिटेड 1560 करोड़ रुपये
एसवीओजीएल ऑयल गैस लिमिटेड 1486 करोड़ रुपये
सूर्या विनायक इंडस्ट्रीज लिमिटेड 1481 करोड़ रुपये
गिली इंडिया लिमिटेड 1447 करोड़ रुपये
ईएमसी लिमिटेड 1342 करोड़ रुपये
रोहित फेरो टेक लिमिटेड 1333 करोड़ रुपये
हैनंग टॉय एंड टेक्सटाइल लिमिटेड 1306 करोड़ रुपये
अमीरा प्योर फूड प्राइवेट लिमिटेड 1293 करोड़ रुपये
यूनिटी इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड 1230 करोड़ रुपये
एस कुमार नेशनवाइड लिमिटेड 1177 करोड़ रुपये
स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड 1158 करोड़ रुपये

कौन होते हैं विलफुल डिफॉल्टर?
विलफुल डिफॉल्टर (Wilful Defaulters) दरअसल, ऐसे लोगों या फिर कंपनियों को कहा जाता है. जो लिया गया कर्ज (Loan) चुकाने की क्षमता तो रखते हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने इससे बचने के लिए खुद को दिवालिया घोषित कर लिया हो. हालांकि, ऐसे डिफॉल्टरों की संख्या की बात करें, तो वित्त राज्य मंत्री ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इसमें कमी आई है. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022 के अंत में विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या 2,790 रही, जो पिछले वित्त वर्ष में 2,840 थी. 

Advertisement

10 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में गए
वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि 2017-18 से लेकर 2021-22 तक बीते 5 वित्त वर्षों में विभिन्न बैंकों ने 9.91 लाख करोड़ का लोन बट्टे खाते में डाला है. सबसे ज्यादा लोन को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने बट्टे खाते में डाला है. बीते वित्त वर्ष की बात करें तो SBI ने वित्त वर्ष 2022 के दौरान 19,666 करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते में डाला, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 34,402 करोड़ रुपये था. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) ने 19,484 करोड़ रुपये और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने 18,312 करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते में डाला है. पिछले वित्त वर्ष बैंकों ने कुल 1.57 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाला है. 

बीते सालों का आंकड़ा

  • 2021-22 के दौरान बट्टेखाते में 1,57,096 करोड़ रुपये डाले गए.
  • 2020-21 में राइट ऑफ किया गया लोन 2,02,781 करोड़ रुपये था. 
  • 2019-20 में बट्टेखाते में डाली गई रकम 2,34,170 करोड़ रुपये थी.
  • 2018-19 में कुल 2,36,265 करोड़ का लोन राइट ऑफ किया गया था. 
  • 2017-18 में बैंकों ने बट्टे खाते में 1,61,328 करोड़ रुपये डाले थे.

4 साल पुराने NPA को बैंक राइट ऑफ करके बैलेंस शीट से हटा देते हैं. इसका मकसद बैंक की बैलेंस शीट को दुरुस्त करना होता है. हालांकि बट्टे खाते में डाले जाने के बाद भी इसकी रिकवरी की कोशिश जारी रहती हैं और इसकी वसूली कई मामलों में हो भी जाती है.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement