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भारतीय आईटी सेक्टर (IT Sector) इन दिनों एक नई समस्या 'The Great Resignation' से परेशान है. आईटी सेक्टर में 'मूनलाइटिंग (Moonlighting)' को लेकर चल रही बहस के बीच टीसीएस (TCS), इंफोसिस (Infosys) और विप्रो (Wipro) जैसी टॉप आईटी कंपनियां कर्मचारियों को अपने साथ जोड़े रख पाने में असफल हो रही हैं.
इन कंपनियों में Attrition Rate यानी नौकरी छोड़कर जाने वाले लोगों की रफ्तार तेज बनी हुई है. इससे परेशान आईटी कंपनियां फ्रेशर्स की रिकॉर्ड हायरिंग (Freshers Hiring) कर रही हैं, लेकिन फिर भी उनका सिरदर्द कम नहीं हो रहा है. आइए जानते हैं इसके पीछे कौन से कारण जिम्मेदार हैं...
टीसीएस में लगातार बढ़ी है रफ्तार
तीनों टॉप भारतीय आईटी कंपनियों टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो ने हाल ही में जून तिमाही का रिजल्ट जारी किया है. इसमें कंपनियों ने बढ़ते Attrition Rate की जानकारी दी. नंबर वन भारतीय आईटी कंपनी TCS में जून तिमाही में नौकरी छोड़कर जाने वालों की दर बढ़कर 19.7 फीसदी पर पहुंच गई. इससे एक तिमाही पहले यानी जनवरी-मार्च 2022 के दौरान यह दर 17.4 फीसदी थी. इसका मतलब हुआ कि एक तिमाही में नौकरी छोड़ने वालों की रफ्तार 2.3 फीसदी बढ़ी है. हालांकि टीसीएस के मामले में आट्रिशन रेट आईटी इंडस्ट्री में तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन इसके बाद भी इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता है. टीसीएस में नौकरी छोड़ने वाले लोगों की रफ्तार पिछली 4-5 तिमाहियों से लगातार बढ़ रही है.
इंफोसिस के सामने सबसे गंभीर हालात
इसी तरह दूसरे नंबर की भारतीय आईटी कंपनी इंफोसिस को देखें तो यहां समस्या अधिक ही गंभीर लगती है. इंफोसिस के मामले में नौकरी छोड़ कर जाने वालों की रफ्तार सबसे ज्यादा है. इंफोसिस में जून तिमाही में लोगों के नौकरी छोड़ने की दर 28.4 फीसदी तक बढ़ गई. कुछ पुराने आंकड़े देखें तो यह दर दिसंबर तिमाही में 25.5 फीसदी थी, जबकि यह सितंबर 2021 तिमाही में 20.1 फीसदी थी. एक साल में इंफोसिस में नौकरी छोड़कर जाने की रफ्तार दो गुना से ज्यादा हो गई है.
कम नहीं हैं विप्रो, टेक महिंद्रा की भी परेशानियां
तीसरी सबसे बड़ी भारतीय आईटी कंपनी विप्रो का हाल भी ठीक नहीं है. इस कंपनी में नौकरी छोड़कर जाने की रफ्तार जून तिमाही में 23.3 फीसदी रही, जो बड़ी कंपनियों में दूसरा सबसे गंभीर आंकड़ा है. विप्रो के मामले में नौकरी छोड़ने की दर सितंबर 2021 तिमाही में 20.5 फीसदी थी, जो दिसंबर 2021 तिमाही में बढ़कर 22.7 फीसदी पर पहुंच गई थी. अब यह और बढ़कर 23 फीसदी के पार निकल चुकी है. अन्य कंपनियों को देखें तो टेक महिंद्रा का भी हाल बुरा ही है. इस आईटी कंपनी में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर जून तिमाही में 22 फीसदी रही. इसके असर को कम करने के लिए तीनों टॉप आईटी कंपनियों ने जून तिमाही के दौरान नेट हायरिंग के टारगेट को बढ़ाकर 50 हजार से ज्यादा कर दिया था.
ये कारण मानते हैं आईटी सेक्टर के एक्सीक्यूटिव्स
टेक महिंद्रा के मैनेजिंग डाइरेक्टर एवं चीफ एक्सीक्यूटिव ऑफिसर सीपी गुरनानी इसके कारण के बारे में बताते हैं कि आईटी इंडस्ट्री का तेजी से विस्तार सबसे ज्यादा जिम्मेदार फैक्टर है. उन्होंने कहा, 'आम तौर पर अगर कोई इंडस्ट्री तेजी से विस्तार करती है तो नौकरी छोड़कर जाने की दर 23-24 फीसदी पर पहुंच जाती है. मुझे लगता है यह शॉक स्टेज अब धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है.' वहीं टीसीएस के सीईओ राजेश गोपीनाथान स्वीकार करते हैं कि उनकी कंपनी में नौकरी छोड़ने की दर कम नहीं हुई है. हालांकि उन्हें उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों के दौरान इसमें कमी आएगी.
आईटी प्रोफेशनल्स ने गिनाए ये फैक्टर्स
आज तक की सहयोगी वेबसाइट बिजनेस टुडे ने इस बारे में आईटी सेक्टर में काम कर रहे लोगों की भी राय ली. बेंगलुरु में आईटी कंपनी में काम कर रहे एक कर्मचारी ने बताया कि एक ही कंपनी में काम करने पर ग्रोथ के अवसर कम हो जाते हैं. उसने कहा, 'अगर हम एक ही कंपनी में 1-2 साल से ज्यादा काम करें तो ग्रोथ करने के अवसर कम हो जाते हैं. इंडस्ट्री में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है. किसी भी टॉप आईटी कंपनी में अब ग्रोथ ट्राजेक्टरी वैसी नहीं रह गई है, जैसी हुआ करती थी.' वहीं एक अन्य आईटी प्रोफेशनल का कहना है कि अन्य मल्टीनेशनल कंपनियां ज्यादा पैसे ऑफर कर रही हैं, इस कारण लोग यहां से नौकरी छोड़ रहे हैं.