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ये काम तो केवल अंग्रेज ही कर सकते हैं, फिर JRD टाटा ने कर दिखाया... भारत को आज भी गर्व!

साल 1932 में जेआरडी की अगुवाई में टाटा एविएशन सर्विस (Tata Aviation Service) की शुरुआत हुई. उस समय विमानन क्षेत्र में यूरोपीय कंपनियों का दबदबा था. उसी साल जेआरडी ने कराची के Drigh Road से उड़ान भरकर आसमान में भारत का नाम लिख दिया. बाद में इस कंपनी का नाम पहले टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) किया गया, फिर अंत में इसका नाम बदलकर एअर इंडिया कर दिया गया, जो अभी भी कायम है.

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एअर इंडिया के जनक हैं जेआरडी (Photo: tata.com)
एअर इंडिया के जनक हैं जेआरडी (Photo: tata.com)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जेआरडी ने दी थी भारत को पहली एयरलाइन
  • एअर इंडिया के जनक हैं जेआरडी टाटा

भारत के महान उद्योगपतियों (Indian Industrialists) की गिनती हो और जेआरडी टाटा (JRD Tata) का जिक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता है. जेआरडी टाटा के लंबे करियर में एक से बढ़कर एक कई शानदार उपलब्धियां दर्ज हैं. उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह (Tata Group) के दायरे का विस्तार किया बल्कि उनके हिस्से भारत को अपनी पहली एयरलाइन (First Indian Airline) देने का भी रिकॉर्ड दर्ज है. बस एक दिन बाद यानी शुक्रवार (29 जुलाई) को भारतीय उद्योग जगत के इस दिग्गत हस्ताक्षर की 118वीं बर्थ एनिवर्सरी (118th Birth Anniversary Of JRD Tata)है. इस मौके पर हम आपको जेआरडी टाटा से जुड़ी कई रोचक बातें (Journey Of Jeh) बताने वाले हैं.

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फ्रांस में हुआ था जेआरडी टाटा का जन्म

देश को पहली एयरलाइन देने वाले इस दिग्गज उद्योगपति का पूरा नाम जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (Jehangir Ratanji Dadabhoy Tata) है. लेकिन उन्हें जेआरडी टाटा के नाम से ही जाना जाता है. जेआरडी का जन्म साल 1904 में पेरिस में हुआ था. उनके पिता RD Tata टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा (Jasetji Tata) के बिजनेस पार्टनर और रिश्तेदार थे. जेआरडी टाटा की मां सूनी (Sooni) फ्रांस की नागरिक थीं. वह अपने माता-पिता की चार संतानों में दूसरे नंबर पर थे. उनकी पढ़ाई फ्रांस (France) के अलावा जापान (Japan) और इंग्लैंड (England) में हुई. बताया जाता है कि जेआरडी अंग्रेजी से ज्यादा फर्राटेदार फ्रेंच बोलते थे. मजेदार है कि इन दोनों विदेशी भाषाओं को जेआरडी किसी भी अन्य भारतीय भाषा से बेहतर लिखते-बोलते थे, लेकिन इसके बाद भी भारत से उनका लगाव अतुल्य था.

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जेआरडी के लिए वरदान बनी पिता की बात

ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि कालांतर में भारतीय अस्मिता के प्रतिनिधि बनने से पहले जेआरडी फ्रांसीसी सेना (JRD In French Army) में काम कर चुके थे. जब वह फ्रांस में पढ़ रहे थे, उस समय वहां हर नागरिक के लिए एक साल सेना में सेवा देना अनिवार्य था. इस एक साल की सेवा के बाद वह सेना में और समय बिताना चाहते थे, लेकिन पिता की असहमति के कारण उन्हें अनिवार्य सेवा समाप्त होते ही सेना से निकलना पड़ा. पिता की यह असहमति जेआरडी ही नहीं बल्कि भारतीय उद्योग जगत के लिए भी वरदान साबित हुई. वह जिस रेजिमेंट में काम कर रहे थे, उस रेजिमेंट को मोरक्को (Morocco) में तैनात किया गया था. जेआरडी की सेवा समाप्त होने के कुछ ही महीने बाद की बात है, मोरक्को में तैनात उनकी रेजिमेंट के सभी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया गया था.

बिना वेतन के शुरू की टाटा में पहली नौकरी

जेआरडी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन पिता के कारण उनका यह सपना भी पूरा नहीं हो सका. पिता के आदेश पर जेआरडी भारत आ गए और टाटा समूह (Tata Group) का कामकाज देखने लग गए. उन्होंने टाटा समूह में करियर की शुरुआत एक एप्रेंटिस (Apprentice) के रूप में दिसंबर 1925 में की और इसके लिए उन्हें एक रुपये भी नहीं मिलते थे. जब जेआरडी महज 22 साल के थे, उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद जेआरडी को टाटा संस (Tata Sons) के बोर्ड में जगह मिली. साल 1929 में जेआरडी ने फ्रांस की नागरिकता (JRD French Citizenship) छोड़ दी और भारत में बिजनेस पर पूरा ध्यान लगाने लग गए.

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बचपन के सपने को ऐसे मिले पंख

जेआरडी बचपन से ही उड़ान भरने को लेकर रोमांचित रहते थे. जब वह 15 साल के थे, तभी उन्होंने फ्रांस में एक विमान में उड़ान भरने का आनंद लिया था. इस अनुभव ने जेआरडी के मन उड़ान के प्रति लगाव पैदा कर दिया, जो अंतत: एअर इंडिया (Air India) की शुरुआत का कारण बना. साल 1929 में जेआरडी टाटा को कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस (JRD Commercial Pilot License) मिला और इस तरह वह ऐसा लाइसेंस पाने वाले पहले भारतीय बन गए.

जेआरडी टाटा का लाइसेंस (Photo: tata.com)
जेआरडी टाटा का लाइसेंस (Photo: tata.com)

इसके एक साल बाद टाटा के मुख्यालय (Bombay House) में एक एयरमेल सर्विस शुरू करने का प्रस्ताव आया, जो बॉम्बे, अहमदाबाद और कराची को कनेक्ट करने वाला था. टाटा समूह के तत्कालीन चेयरमैन दोराबजी टाटा (Dorabji Tata) को जेआरडी के मित्र व टाटा में सहयोगी जॉन पीटरसन (John Peterson) ने इस सर्विस को शुरू करने के मना लिया. दोराबजी ने इस नए बिजनेस का जिम्मा जेआरडी को सौंपा.

एअर इंडिया क्रू के साथ जेआरडी (Photo: tata.com)
एअर इंडिया क्रू के साथ जेआरडी (Photo: tata.com)

नेहरू सरकार ने कर दिया नेशनलाइज

साल 1932 में जेआरडी की अगुवाई में टाटा एविएशन सर्विस (Tata Aviation Service) की शुरुआत हुई. उस समय विमानन क्षेत्र में यूरोपीय कंपनियों का दबदबा था. उसी साल जेआरडी ने कराची के Drigh Road से उड़ान भरकर आसमान में भारत का नाम लिख दिया. बाद में इस कंपनी का नाम पहले टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) किया गया, फिर अंत में इसका नाम बदलकर एअर इंडिया कर दिया गया, जो अभी भी कायम है. भारत की आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) की अगुवाई में सरकार बनी. नेहरू सरकार ने साल 1953 में एअर इंडिया को नेशनलाइज (Air India Nationalisation) कर दिया. जेआरडी ने सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध किया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.

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मोराजी देसाई से विवाद के बाद छूटा साथ

एअर इंडिया के सरकारी हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नेहरू ने जेआरडी से आग्रह किया कि वह अब भी विमानन कंपनी का कामकाज देखें. जेआरडी टाटा को एअर इंडिया के प्रति वैसा ही प्रेम था, जैसा एक बाप को अपने संतान के प्रति होता है. उन्होंने इस आग्रह को खुशी से स्वीकार किया और तब तक सरकारी विमानन कंपनी एअर इंडिया के चेयरमैन बने रहे, जब तक कि साल 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) से मतभेद के बाद उन्हें बाहर नहीं होना पड़ गया. बाद में जब इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) सत्ता में लौटीं तो उन्होंने जेआरडी से पुन: चेयरमैन बनने का आग्रह किया, लेकिन तब तक जेआरडी का मन भर चुका था.

जेआरडी की अगुवाई में एअर इंडिया बनी बेस्ट

जेआरडी टाटा की अगुवाई में एअर इंडिया ने कई शानदार कीर्तिमान स्थापित किए. उनकी ही अगुवाई में एअर इंडिया की पहली इंटरनेशनल उड़ान (Air India International Flight) की शुरुआत हुई, जिसमें वह खुद भी बैठे हुए थे. जेआरडी समय के मामले में बड़े पाबंद थे और इसका असर एअर इंडिया की सर्विस में भी दिखती थी. वह चाय से लेकर कॉफी के रंग तक और सीट से लेकर मेन्यू तक पर खुद नजर रखते थे. यही कारण था कि उस समय एअर इंडिया को दुनिया की सबसे बेहतर विमानन कंपनी माना जाता था. सिंगापुर की सरकार जब अपनी विमानन कंपनी शुरू कर रही थी, तो वहां से अधिकारियों की एक टीम को एअर इंडिया का केस स्टडी करने के लिए भेजा गया था.

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जब भारत रत्न से सम्मानित हुए जेआरडी

जेआरडी ने देश के निर्माण में जो योगदान दिया, उसके कारण भारत सरकार ने साल 1992 में उन्हें सर्वोच्च असैन्य सम्मान 'भारत रत्न (Bharat Ratna)' से सम्मानित किया. जब उन्हें बताया गया था कि सरकार उन्हें भारत रत्न देने पर विचार कर रही है, तो उनकी सहज प्रतिक्रिया थी, 'मुझे क्यों? मैं ये डिजर्व नहीं करता. भारत रत्न तो आम तौर पर उन लोगों को दिया जाता है, जो मर चुके होते हैं या फिर नेताओं को मिलता है. मैं मरकर सरकार का काम आसान करने के लिए तैयार नहीं हूं और नेता मैं हूं ही नहीं.' इसके एक साल बाद 29 नवंबर 1993 को उन्होंने जेनेवा के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्होंने 1930 में फ्रांस की थेल्मा (JRD Tata's Wife Thelma) से विवाह किया था, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी.

जेआरडी को मिल चुका है भारत रत्न (Photo: tata.com)
जेआरडी को मिल चुका है भारत रत्न (Photo: tata.com)

महाराजा की हो चुकी है घर वापसी

संयोग से 'महाराजा (Maharaja)' के नाम से फेमस विमानन कंपनी एअर इंडिया वापस टाटा समूह के हाथों आ चुकी है. इस बार जब जेआरडी टाटा की 118वीं बर्थ एनिवर्सरी मनाई जाएगी, महाराजा भी अपने पुराने घर में अपने संस्थापक का जन्मदिन मनाने के लिए मौजूद रहेंगे. सरकारी नियंत्रण में जाने के बाद भी जब तक जेआरडी के हाथों में कमान थी, एअर इंडिया आसमान की नई ऊचाइयां छूती रही थी. उनके निकलने के बाद एअर इंडिया की स्थिति बद से बदतर होते चली गई. कंपनी को लगातार घाटा होने लगा. कंपनी की सर्विस भी खराब हो गई. हालात हो गए सरकार के पैकेज भी एअर इंडिया को संभालने में नाकाफी साबित होने लगे. अंतत: सरकार ने एअर इंडिया को बेचने का फैसला किया. पिछले साल हुई नीलामी में टाटा समूह ने सबसे बड़ी बोली लगाकर 'महाराजा की घर वापसी (Maharaja Kii Ghar Wapasi)' करा दी.

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