पहले जब लोग जब मिट्टी के घरों में रहा करते थे, तो दीवारों से लेकर फर्श तक गोबर से लीपा करते थे. आधुनिक समय में शहरी सभ्यता विकसित होने के बाद दीवारों पर गोबर की लिपाई की जगह डिस्टेंपर, इमल्शन और प्लास्टिक पेंट ने ले ली. लेकिन अब खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने गोबर को बेस बनाकर एक ‘वैदिक पेंट’ तैयार किया है. जानें इस पर्यावरण अनुकूल पेंट की खास बातें...
एंटी-वायरल, बदबू रहित
खादी इंडिया का यह प्राकृतिक पेंट गोबर से बना होने के बावजूद बदबू रहित है. असल में यह पूरी तरह गंधहीन है और इसमें आम डिस्टेंपर या पेंट की तरह विषैले पदार्थ भी नहीं है. इतना ही नहीं गोबर से बना होने के चलते इसमें एंटी-वायरल प्रॉपर्टीज हैं. कोरोना वायरस के दौर में लोगों का रुझान एंटी-वायरल टूथब्रश से लेकर लेमिनेट्स तक बढ़ा है. ऐसे में यह पेंट कई अन्य कंपनियों के एंटी-वायरल पेंट को प्रतिस्पर्धा भी देगा.
BIS के मानकों पर खरा
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने भी इस पेंट को प्रमाणित किया है. इनका परीक्षण देश की तीन बड़ी प्रयोगशाला ‘नेशनल टेस्ट हाउस’ मुंबई और गाजियाबाद एवं श्री राम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च, नई दिल्ली में किया गया है.
सीसा, पारा, कैडमियम धातुएं भी नहीं
आम पेंट में सीसा (लेड), पारा (मरकरी), कैडमियम, क्रोमियम जैसी हानिकारक भारी धातुएं होती हैं. खादी के ‘प्राकृतिक पेंट’ में ऐसी कोई धातु नहीं है.
कैसे बना ये पेंट
एमएसएमई मंत्रालय के आधिकारिक बयान के मुताबिक ‘खादी वैदिक पेंट’ का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के विचार के अनुरूप है. खादी और ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने मार्च 2020 में इसकी अवधारणा रखी. बाद में जयपुर के कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने इसे विकसित किया.
Pleased to announce the launch of Khadi Prakritik Paint,India’s 1st paint made from cow dung, by Hon’ble MSME Minister on 12.01.2020. Immense benefits of this innovative, cost-effective product include farmers’ extra income & employment generation.@PMOIndia @girirajsinghbjp pic.twitter.com/fKkrpmX3WB
— Chairman KVIC (@ChairmanKvic) January 11, 2021
ग्राहकों के लिए सस्ता, किसानों के लिए लाभदायक
वैदिक पेंट का मुख्य अवयव गोबर होने से यह आम पेंट के मुकाबले सस्ता पड़ेगा. इससे रंग-रोगन कराने पर ग्राहकों की जेब कम ढीली होगी. वहीं यह देश के किसानों की आय बढ़ाने वाला होगा. बयान के मुताबिक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के माध्यम से इसकी स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाएगा. इससे गोबर की खपत बढ़ेगी जो किसानों की आय बढ़ाने में काम आएगी. सरकार के अनुमान के हिसाब से यह किसानों या गौशालाओं को प्रत्येक वर्ष प्रति पशु पर 30,000 रुपये की अतिरिक्त आय पैदा करके देगा.