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दिन-रात काम करेंगे Rishi Sunak, इन चुनौतियों से निपटते ही बन जाएंगे मंझे हुए राजनेता!

ब्रिटेन की अर्थव्यस्था इस वक्त सुस्ती के दौर से गुजर रही है. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री लीज ट्रस के कुछ फैसलों से बाजार में उथल-पुथल जैसी स्थिति पैदा हो गई थी. ऐसे में नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के सामने कई आर्थिक चुनौतियां होंगी. उन्हें महंगाई से लेकर उर्जा की सप्लाई को लेकर भी नए सिरे से प्लान तैयार करना होगा.

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ऋषि सुनक के सामने होंगी कई चुनौतियां
ऋषि सुनक के सामने होंगी कई चुनौतियां

भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ब्रिटेन के प्रधानमंत्री आवास 10-डाउनिंग स्ट्रीट पहुंचने वाले हैं. लेकिन इस वक्त ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का ताज कांटों से भरा है. पीएम बनने के बाद सुनक के सामने आर्थिक मोर्चे (Economy) पर कई समस्याओं से निपटने की चुनौती होगी. क्योंकि आर्थिक नीतियों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्र्स के उठाए कदम ने बाजार में उथल-पुथल बढ़ा दी है. ऋषि सुनक ने देश के सामने खड़े संकट को गंभीर बताया है और उन्होंने कहा है कि ब्रिटेन की इकोनॉमी को वापस पटरी पर लाने के लिए वो दिन-रात काम करेंगे. 

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रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई

महंगाई से निपटने के लिए योजना बनाने के दौरान सुनक को मंदी से सावधान रहना होगा. क्योंकि अधिक कड़े कदम उठाने से ब्रिटेन की सुस्त इकोनॉमी गंभीर मंदी की जाल फंस सकती है. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) के अनुमान के अनुसार, अगले साल तक ब्रिटेन की इकोनॉमी में 0.3 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिल सकती है. सुनक लिए ये आंकड़ा परेशानी का सबब बन सकता है. क्योंकि स्थिर विकास के साथ लगातार उच्च महंगाई दर के दौरान उनके लिए किसी भी सुधार की पॉलिसी को लागू करना आसान नहीं होगा. 

Rishi Sunak

महंगी हुई है ऊर्जा

यूक्रेन पर रूस के हमले और मास्को पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से यूरोप की ऊर्जा सप्लाई बाधित हो गई है. इस वजह से ब्रिटेन में ऊर्जा (नेचुरल गैस) की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ब्रिटेन में प्रति परिवार ऊर्जा की कीमतें एक साल पहले के मुकाबले तीन गुना बढ़ी हैं. एक साल पहले ये 1,277 पाउंड थी, जो अब 3,549 पाउंड हो गई हैं. प्रशासन ने अगले अप्रैल तक ऊर्जा बिल और प्रीपेमेंट मीटर की लागत प्रति वर्ष 2,500 पाउंड पर सीमित कर दी है.

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कैसे पूरी होंगी लोगों की जरूरतें?

ब्रिटेन में जैसे ही कड़ी सर्दियां शुरू होंगी वहां के लोगों को ठंड से राहत के लिए अधिक गैस की आवश्यकता होगी. डिमांड बढ़ने की वजह से लागत में भी इजाफा होगा. सुनक के पास राजकोषीय स्थिति के प्रति सचेत रहते हुए लोगों के लिए कीमतों को स्थिर रखने या कम करने की चुनौती होगी. उनके पास और कर्ज लेने के लिए पर्याप्त मौका नहीं होगा. क्योंकि पिछली सरकारों ने निवेशकों को हिलाकर रख दिया है.

व्यापार की शर्तें

सितंबर में चुनावों के दौरान सुनक ने एनर्जी टैक्स को बढ़ाकर राजस्व में इजाफा करने के प्लान का जिक्र किया था. Institute of Fiscal Studies की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के सामने व्यापार की शर्तें भी प्रमुख चुनौतियों में से एक है. क्योंकि इस वजह से आने वाले दिनों में घरेलू और कॉर्पोरेट दोनों सेक्टर में डिमांड पर भारी असर पड़ेगा. ऐसे में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें और बढ़ सकती हैं. 

बॉन्‍ड मार्केट से लेकर पाउंड तक प्रभावित

ब्रिटेन की अर्थव्‍यवस्‍था सुस्‍ती के दौर से गुजर रही है. S&P ग्लोबल कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स मार्च 2021 के बाद के सबसे निचले स्तर 47.2 पर आ गया है. पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस के टैक्‍स कटौती के फैसले की वजह से बॉन्‍ड मार्केट से लेकर पाउंड तक प्रभावित हुआ है. मैन्‍यूफैक्‍चरिंग PMI 48.4 से घट कर 45.8 के स्‍तर पर आ गया है. ये तमाम चीजें इस बात के संकेत दे रही हैं कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था फिलहाल इतनी जल्दी सुस्ती से बाहर नहीं निकलने वाली है. ऐसे में ऋषि सुनक को अपनी आर्थिक नीतियों को लागू कर पाना आसान नहीं होगा. 

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सियासी मोर्चे पर चुनौती

आर्थिक सुधारों के बीच सुनक को कंजरवेटिव पार्टी के प्रति ब्रिटेन के नागरिकों में फिर से भरोसा कायम करना होगा. क्योंकि लेबर पार्टी के मुकाबले इसकी लोकप्रियता में गिरावट आ रही है. तीन वर्षों में रिकॉर्ड तीन प्रधानमंत्रियों के साथ सत्तारूढ़ दल की लोकप्रियता गिरकर 14 फीसदी के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई है.

इसका मतलब यह है कि अगर आज चुनाव होते, तो केवल इतने प्रतिशत लोग ही कंजरवेटिव पार्टी को वोट देते. सत्तारूढ़ दल के पतन से विपक्ष का हौसला बढ़ेगा, जिससे हाउस ऑफ कॉमन्स में सुनक के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.

 

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