दुनियाभर में टेक कंपनियों में छंटनी का सिलसिला लगातार जारी है. नई टेक्नोलॉजी, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI को अपनाने और लागत घटाने के नाम पर इस साल अब तक हजारों कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं. यही नहीं, 2022 से 2024 के बीच तो लाखों लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई हैं. आंकड़ों के मुताबिक इस साल टेक कंपनियों से 23 हजार 154 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है.
वहीं 2022 से 2024 के बीच करीब 5 लाख 82 हजार लोग नौकरी गंवा चुके हैं. 2023 में सबसे ज्यादा ढाई लाख से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी हुई थी. लेकिन 2025 में भी हालात बेहतर नहीं हैं, क्योंकि कंपनियां अपने खर्चे कम करने और AI को तेजी से अपनाने के लिए लगातार कर्मचारियों को निकाल रही हैं. छंटनी का सबसे बड़ा असर टेक इंडस्ट्री पर पड़ा है.
इस साल अब तक इतने लोगों की गईं नौकरियां
इस साल अब तक सबसे ज्यादा छंटनी करने वाली कंपनियों में मेटा, एचपीई, ओला इलेक्ट्रिक और सेल्सफोर्स जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं. अगर इस साल अलग-अलग कंपनियों में हुई छंटनी के आंकड़ों को देखें तो मेटा ने 3,600 कर्मचारी निकाले हैं, जबकि एचपीई ने 2,500, एचपी ने 2 हजार, वर्क डे ने 1750, ऑटो डेस्क ने 1350, ओला इलेक्ट्रिक ने 1 हजार, ब्लू ओरिजिन ने 1 हजार, क्रूज ने 1 हजार और सेल्सफोर्स ने 1 हजार कर्मचारियों को हटाया है.
AI के बढ़ते इस्तेमाल से कंपनियों का झुकाव ऑटोमेशन की तरफ बढ़ रहा है. इससे कर्मचारियों पर बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ गया है. मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों को भेजे इंटरनल नोट में साफ कहा कि जो बेहतर प्रदर्शन नहीं करेंगे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा.
छंटनी से आईटी सेक्टर में हड़कंप
HPE का कहना है कि कंपनी लागत घटाने के लिए ये कदम उठा रही है, जिससे उसे 35 करोड़ डॉलर की बचत होगी. इसके अलावा मॉर्गन स्टेनली भी इस महीने के आखिर तक करीब 2 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. ये कंपनी के नए सीईओ टेड पिक के आने के बादल पहला बड़ा छंटनी अभियान होगा. लागत घटाने के साथ कंपनी एआई और ऑटोमेशन पर फोकस कर रही है.
हालांकि इससे 15 हजार फाइनेंशियल एडवाइजर्स की नौकरी पर असर नहीं होगा. टेक इंडस्ट्री में जारी इस छंटनी से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं. ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने भी इस साल की शुरुआत में 14 हजार लोगों को नौकरी से निकालने का ऐलान किया था. इससे कंपनी को हर साल 2.1 अरब डॉलर से 3.6 अरब डॉलर की बचत होने का अनुमान है. अगर कंपनियों ने AI और ऑटोमेशन को अपनाने की रफ्तार और बढ़ाई तो आने वाले दिनों में और भी ज्यादा नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं.