देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी का आईपीओ (LIC IPO) लाने की तैयारियां तेज हो गई है. इससे पहले सरकारी बीमा कंपनी की वैल्यू आंकने का दौर चल रहा है. एक हालिया वैल्यूएशन (LIC Valuation) में एलआईसी की कुल संपत्तियों की वैल्यू 463 बिलियन डॉलर (करीब 34,500 अरब रुपये) आंकी गई है. यह पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और श्रीलंका (Srilanka) समेत कई देशों की जीडीपी से ज्यादा है.
सबसे बड़ी बीमा कंपनियों में से एक एलआईसी
एलआईसी के भारी-भरकम कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ग्रॉस रिटेन प्रीमियम (GWP) के हिसाब से यह दुनिया की टॉप-5 कंपनियों में से एक है. कुल संपत्ति के हिसाब से देखें तो 463 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन पर एलआईसी दुनिया की 14वीं सबसे बड़ी कंपनी बन जाती है. एलआईसी भारत की सबसे बड़ी एसेट मैनेजर कंपनी भी है, जो अभी भारत की जीडीपी के 18 फीसदी के बराबर संपत्ति का प्रबंधन कर रही है.
इन देशों की जीडीपी एलआईसी से कम
पाकिस्तान की जीडीपी (Pakistan GDP) को देखें तो इसका साइज पिछले वित्त वर्ष में 280 बिलियन डॉलर था. यह एलआईसी की संपत्तियों की वैल्यू से काफी कम है. एलआईसी की संपत्तियों की तुलना में बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की जीडीपी भी पीछे छूट जाती हैं. पिछले वित्त वर्ष में बांग्लादेश की जीडीपी 350 बिलियन डॉलर पर और श्रीलंका की जीडीपी 82 बिलियन डॉलर पर रही थी.
3 ट्रिलियन से ज्यादा हो गया था एपल का एमकैप
ग्लोबल कंपनियों के एमकैप पर नजर रखने वाली वेबसाइट Companiesmarketcap के अनुसार, एपल (Apple) अभी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है, जिसका ताजा एमकैप 2.869 ट्रिलियन है. कंपनी का एमकैप एक दिन पहले तीन ट्रिलियन के पार निकल गया था. शेयरों में आई करीब 2.5 फीसदी की गिरावट के बाद भी एपल का एमकैप भारत, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों की जीडीपी के आस-पास है. इसके बाद 2.375 ट्रिलियन एमकैप के साथ माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है.
ये हैं दुनिया की टॉप कंपनियां
टॉप10 कंपनियों में सउदी अरामको, गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट, अमेजन, टेस्ला, फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा, बर्कशायर हाथवे, एनविडिया और टैनसेंट शामिल हैं. अभी एमकैप के हिसाब से रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL MCap)) भारत की सबसे बड़ी कंपनी है. इसके बाद टाटा समूह की टीसीएस (TCS MCap) का नंबर आता है. आईपीओ के बाद जब एलआईसी बाजार में लिस्ट होगी, तब इसकी वैल्यू का ज्यादा सटीक पता लग पाएगा. एनालिस्ट ऐसे भी कयास लगा रहे हैं कि सरकार को आईपीओ से पहले कंजरवेटिव वैल्यूएशन का रास्ता पकड़ना पड़ सकता है.