LIC IPO Discount Listing: सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) ने कई पुराने रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाबी हासिल की है. पहले इसने पेटीएम (Paytm IPO) का रिकॉर्ड तोड़ा और भारत का सबसे बड़ा आईपीओ बन गया. इसके बाद भले ही एलआईसी के शेयरों की लिस्टिंग (LIC Share Listing) घाटे के साथ हुई, इसने तब भी हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और एसबीआई (SBI) जैसी बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया. लिस्टिंग के बाद एलआईसी भारत की पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी बन गई है. इतना ही नहीं, एलआईसी के आईपीओ में सबसे ज्यादा अप्लिकेशन रिजेक्ट होने का भी रिकॉर्ड बन गया.
डिस्काउंट लिस्टिंग का एमकैप पर असर
एलआईसी के आईपीओ के लिए 902-949 रुपये का प्राइस बैंड (LIC IPO Price Band) सेट किया गया था. लिस्टिंग से पहले ग्रे मार्केट में एलआईसी आईपीओ (LIC IPO GMP) 20-25 रुपये के डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहा था. लिस्टिंग से ऐन पहले बीएसई (BSE) पर प्री-ओपन सेशन (Pre-Open Session) में एलआईसी के शेयरों में 13 फीसदी तक की गिरावट आई. इसके बाद अंतत: एलआईसी का शेयर इश्यू प्राइस (LIC IPO Issue Price) की तुलना में 8.62 फीसदी यानी 81.80 रुपये गिरकर 867.20 रुपये पर सेटल हुआ. कारोबार जैसे-जैसे आगे बढ़ा, एलआईसी शेयर ने कुछ रिकवरी की. शाम 02:45 बजे यह शेयर बीएसई पर इश्यू प्राइस से 7.61 फीसदी नीचे 876.80 रुपये पर ट्रेड कर रहा था.
एलआईसी से आगे सिर्फ ये बड़ी कंपनियां
एलआईसी के शेयरों के डिस्काउंट पर लिस्ट होने का असर कंपनी के एमकैप के ऊपर भी हुआ. पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) पर डिस्काउंट लिस्टिंग के बाद भी एलआईसी का मार्केट कैप (LIC MCap) 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रह सकते हैं. हालांकि अभी इसका एमकैप 5.55 लाख रुपये के आस-पास है. हालांकि इसके बाद भी एलआईसी शेयर मार्केट में लिस्टेड पांचवीं सबसे बड़ी भारतीय कंपनी बन गई है. मार्केट कैप (Market Cap) यानी वैल्यूएशन (Valuation) के लिहाज से सरकारी बीमा कंपनी से आगे अभी सिर्फ रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries Ltd), टीसीएस (TCS), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और इंफोसिस (Infosys) ही हैं.
इतने लाख अप्लिकेशन किए गए रिजेक्ट
एलआईसी के शेयरों के अलॉटमेंट का डॉक्यूमेंट देखें तो पता चलता है कि इस आईपीओ ने सबसे ज्यादा अप्लिकेशन रिजेक्ट करने का भी रिकॉर्ड बना दिया. एलआईसी के आईपीओ के लिए 73.37 लाख अप्लिकेशन आए थे. इनमें से 20 लाख से ज्यादा अप्लिकेशन विभिन्न कारणों से रिजेक्ट कर दिए गए थे. डॉक्यूमेंट के अनुसार, एलआईसी आईपीओ के लिए आए टोटल अप्लिकेशंस में से 52.98 लाख ही वैलिड पाए गए. हालांकि इसके बाद भी यह किसी भारतीय कंपनी के आईपीओ को मिले सबसे ज्यादा वैलिड अप्लिकेशंस हैं, लेकिन इसमें 20.39 लाख यानी 27.8 फीसदी अप्लिकेशन रिजेक्ट होने का भी रिकॉर्ड बना.