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LIC IPO: अगर आपके पास है LIC की पॉलिसी, IPO में शेयर मिलने के चांसेज ज्यादा

LIC IPO Update: सेबी को सौंपे गए ड्राफ्ट पेपर्स के अनुसार, इस आईपीओ में वैसे इन्वेस्टर्स के लिए 10 फीसदी शेयर रिजर्व रखे जाएंगे, जिनके पास पहले से एलआईसी की कोई पॉलिसी है. इसका मतलब हुआ कि इस तरह के इन्वेस्टर्स के पास आईपीओ में ज्यादा मौके होंगे.

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रिजर्व रहेगा इतना हिस्सा
रिजर्व रहेगा इतना हिस्सा

LIC IPO Latest Update: सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) का आईपीओ (IPO) जल्द आने का रास्ता साफ हो चुका है. सरकार ने रविवार देर शाम बाजार नियामक सेबी (SEBI) को एलआईसी आईपीओ का ड्राफ्ट सौंप दिया. ड्राफ्ट के अनुसार, एलआईसी के कुल 632 करोड़ शेयर होंगे, इनमें से करीब 31.6 करोड़ शेयर आईपीओ में बेचे जाएंगे.

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पॉलिसी होल्डर्स के लिए इतना रिजर्वेशन

ड्राफ्ट के अनुसार, इस आईपीओ में एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए अलग से एक हिस्सा रिजर्व रखा जा रहा है. ड्राफ्ट में एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए 10 फीसदी यानी करीब 3.16 करोड़ शेयर रिजर्व रखने का प्रस्ताव किया गया है. डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय ने हाल ही में कहा भी था कि एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स को इस आईपीओ में रिजर्वेशन मिलने वाला है.

पूरी तरह से OFS है यह आईपीओ

ड्राफ्ट जमा होने से पहले इस बात को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि इस आईपीओ का साइज क्या होगा. अब यह साफ हो गया है कि सरकार इस आईपीओ के जरिए अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने वाली है. अभी एलआईसी में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है. DIPAM सेक्रेटरी ने कल एक Tweet में बताया कि इस आईपीओ के जरिए करीब 31.6 करोड़ शेयरों की बिक्री की जाएगी. यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फोर सेल (OFS) होगा. इसमें एलआईसी का कोई फ्रेश इश्यू (Fresh Issue) नहीं होगा.

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आईपीओ के बाद आ सकता है एफपीओ

सरकार पहले आईपीओ में 10 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही थी. हालांकि भारी-भरकम साइज को सही रिस्पॉन्स नहीं मिल पाने की आशंका के चलते एलआईसी आईपीओ का साइज कम किया गया है. अब सरकार बाद में एफपीओ के जरिए अतिरिक्त 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर सकती है. साइज कम होने के बाद भी एलआईसी आईपीओ भारत के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ बनने वाला है.

सेबी से 3 सप्ताह में मंजूरी की मांग

सरकार के लिए विनिवेश के कारण यह आईपीओ बेहद खास है. इसी कारण सरकार प्रयास कर रही है कि किसी भी तरह यह आईपीओ 31 मार्च से पहले आ जाए. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने 01 फरवरी को बजट पेश करते हुए कहा था कि एलआईसी का आईपीओ जल्दी ही आएगा. बाद में नियामक सेबी को कहा गया है कि वह एलआईसी आईपीओ के ड्राफ्ट को मंजूरी देने का काम 3 सप्ताह में पूरा करे. आम तौर पर सेबी इस काम में महीनों का समय लगाता है.

इन कारणों से अहम है एलआईसी आईपीओ

सरकार इस फाइनेंशियल ईयर में विनिवेश (Disinvestment) के साथ ही फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) के मोर्चे पर पिछड़ रही है. विनिवेश का टारगेट रिवाइज करने के बाद भी अभी सरकार मीलों दूर है. पहले 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया गया था. इसे सरकार ने घटाकर 78 हजार करोड़ रुपये कर दिया है. अभी तक सरकार को विनिवेश से करीब 12 हजार करोड़ रुपये ही मिल पाए हैं. ऐसे में टारगेट अचीव करने के लिए सरकार की सारी उम्मीदें एलआईसी आईपीओ पर टिकी हुई हैं.

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