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कोरोना के राहत उपायों की मार! बैंकों के NPA में होगा जबरदस्त इजाफा

बैंकों को मोरेटोरियम आदि के रूप में जिस तरह से राहत देनी पड़ रही है उससे इस साल बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में भारी इजाफा होगा. 

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बैंकोंं के एनपीए में इजाफा
बैंकोंं के एनपीए में इजाफा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना में राहत से बैंकों पर बोझ
  • इस साल तेजी से बढ़ेगा एनपीए

भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले साल के भारी गिरावट के दौर से उबर रही है, लेकिन बैंकों को मोरेटोरियम आदि के रूप में जिस तरह से राहत देनी पड़ रही है उससे इस साल बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में भारी इजाफा होगा. 

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एक रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2021 तक भारतीय बैंकों का ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट (GNPA) बढ़कर 9.6 से 9.7 फीसदी तक हो जाएगा. मोरेटोरियम के रूप में राहत और कोरोना संकट की वजह से 'बकाया बढ़ जाने' की वजह से बैंकों का एनपीए बढ़ेगा. यह 31 मार्च 2022 और तक बढ़कर  9.9- 10.2 फीसदी तक हो जाएगा. गौरतलब है कि 31 मार्च 2020 तक बैंकों का GNPA 8.6 फीसदी था. 

क्या है राहत की बात 

सरकार और बैंकों के लिए राहत की बात बस ये है कि महामारी के दौरान कई टुकड़ों में सरकार की दखल और राहत उपायों की वजह से बैंकों को मुनाफे या पूंजी पर किसीअचानक बड़े झटके से बचाया जा सका. 


रेटिंग एजेंसी ICRA की भारतीय बैंकों पर जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न राहत उपायों के चलते ऐसा हुआ, हालांकि, एसेट्स क्वालिटी को लेकर दबाव फिर से शुरू होने की आशंका है. 

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क्या कहा ICRA ने 

ICRA रेटिंग ने कहा कि ग्रॉस एनपीए और नेट एनपीए में गिरावट के बावजूद बैंकों के एसेट की क्वालिटी दिसंबर 2020 तक तो ठीकठाक ही रही. 

रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर 2020 तक बैंकों का GNPA कुल 1.3 लाख करोड़ रुपये और NNPA कुल 1 लाख करोड़ रुपये का रहा, लेकिन एसेट के फीसदी के हिसाब से देखें तो 31 दिसंबर तक यह क्रमश: 8.3 फीसदी और 2.7 फीसदी रहा, जबकि मार्च 31, 2020 तक यह क्रमश: 8.6 फीसदी और 3 फीसदी रही. यानी इसमें गिरावट आई है. 

लेकिन इकरा का कहना है कि इस गिरावट की वजह यह है कि बैंकों को 1.1 लाख करोड़ रुपये के लोन को राइट ऑफ करने यानी बट्टा खाते में डालने की इजाजत दी गई. 

 

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