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नहीं डूबेगा अब बैंकों का MSME में लगा पैसा, संशोधित दिवाला कानून लोकसभा से पास

लोकसभा ने बुधवार को ऋणशोधन और दिवाला संहिता (संधोधन) विधेयक-2021 पास कर दिया. विपक्ष के भारी हंगामे के बीच सरकार ने ये विधेयक लोकसभा से पास करा लिया. इसके बाद अब बैंकों का छोटे कारोबारों में लगा पैसा डूबेगा नहीं.

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संशोधित दिवाला कानून लोकसभा से पास (Photo : Getty)
संशोधित दिवाला कानून लोकसभा से पास (Photo : Getty)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संशोधित विधेयक 4 अप्रैल के अध्यादेश की जगह लेगा
  • MSME नहीं कर सकेंगे बैंकों के साथ लोन डिफॉल्ट
  • MSME को लोन देने में बैंकों का रिस्क होगा कम

वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में ऋणशोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) विधेयक-2021 पेश किया था जिसे लोकसभा ने बुधवार को पास कर दिया गया. सरकार के इस कदम का फायदा बैंकों और MSME दोनों को होगा और MSME को भी दिवाला कानून का फायदा मिलेगा. लोकसभा से पारित संशोधन विधेयक से दिवाला कानून में ये बदलाव होंगे...

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4 अप्रैल के अध्यादेश की जगह लेगा

छोटे कारोबारियों के लिए दिवाला प्रक्रिया आसान बनाने के लिए सरकार ने 4 अप्रैल 2021 को इससे जुड़ा अध्यादेश लाया था. अब ये विधेयक राज्यसभा से भी पारित होने के बाद कानून की शक्ल ले लेगा और 2016 में आए ऋणशोधन और दिवाला संहिता (IBC) अधिनियम में अहम बदलाव करेगा.

MSME के लिए उपलब्ध होगा सस्ता ऋण

इस संशोधन के बाद अब जब बैंकों का MSME में लगा पैसा डूबेगा नहीं तो उनका रिस्क कम होगा और वो MSME को ऋण देने में हिचकिचाएंगे नहीं. वहीं MSME भी नीरव मोदी, विजय माल्या और मेहुल चौकसी की तरह बैंकों के साथ लोन डिफॉल्ट कर पाएंगे. कोरोना महामारी के बाद से केन्द्र सरकार लगातार MSME को आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रही है. सरकार के इस कदम से भी MSME के लिए सस्ता ऋण सुलभ होगा.

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इस संशोधन के बाद MSME सेक्टर को भी दिवाला कानून का लाभ मिलने लगेगा और उनके दिवालिया होने की स्थिति में PIRP (प्री-पैकेज्ड रिजॉल्यूशन प्रोसेस) को शुरू किया जा सकेगा. विधेयक में PIRP के लिए कुछ नियम भी तय किए गए हैं.

ये बदलाव हुए दिवाला कानून में

संशोधनों के मुताबिक यदि कोई कारोबारी 1 करोड़ रुपये की सीमा तक का लोन डिफॉल्ट करता है तो उसके खिलाफ PIRP की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी. वहीं इस प्रोसेस को शुरू करने के लिए न्यूनतम लोन डिफॉल्ट राशि सरकार ने 10 लाख रुपये तय की है.

इस प्रोसेस के तहत किसी  MSME से जुड़े मुख्य स्टेक होल्डर जिनमें ऋण लेने वाले (Debtor) और ऋण देने वाले (Creditor) साथ आएंगे और आपस में मिलकर कोई संभावित खरीदार ढूंढेंगे. वहीं दिवाला प्रक्रिया के लिए NCLT में जाने से पहले ही किसी संभावित समाधान योजना (रिजॉल्यूशन प्लान) पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. का रुख करते हैं. IBC के तहत किसी भी कंपनी के रिजॉल्यूशन प्लान को उसकी NCLT की मंजूरी लेना अनिवार्य है. 

लोकसभा में विपक्ष का हंगामा

सरकार ने लोकसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच इस अहम बिल को पास करा लिया. विपक्ष महंगाई, किसानों, कोविड की दूसरी लहर और पेगासस जासूसी कांड को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर बना हुआ है. इस वजह से दिन में सदन की कार्यवाही को भी कई बार स्थगित करना पड़ा.

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