मोदी सरकार बहुत जल्द क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के रेग्युलेशन के लिए एक कानून लाने जा रही है. देश के युवाओं के बीच निवेश का हॉट टॉपिक बनी क्रिप्टोकरेंसी को बैन किया जाना चाहिए या नहीं, इस बारे में इंडिया टुडे ग्रुप और सी-वोटर के ‘Mood Of The Nation’ सर्वे में ये बात सामने आई है.
38% क्रिप्टोकरेंसी पर बैन के पक्ष में
सर्वे रिपोर्ट बताती है कि देश के करीब 38% लोग क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने के पक्ष में हैं. जबकि मात्र 28% का मानना है कि इस पर बैन नहीं लगाया जाना चाहिए. इस बारे में एक्सपर्ट राज चेंगप्पा ने कहा कि इसे लेकर लोगों में भ्रम है. क्रिप्टोकरेंसी में आने वाले समय में काफी पोटेंशियल है, लेकिन इससे जुड़ी कई चिंताएं भी हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है.
क्रिप्टोकरेंसी होगी रेग्युलेट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने के लिए एक बिल तैयार किया है. ‘क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल- 2021' (The Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) देश में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करेगा. वहीं भारतीय रिजर्व बैंक की ऑफिशियल डिजिटल करेंसी (RBI Digital Currency) के लिए एक फ्रेमवर्क भी बनाएगा.
दुनिया के कई देश क्रिप्टोकरेंसी को अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मान रहे हैं. चीन में इससे होने वाले लेनदेन पर पाबंदी है. जबकि अल-सल्वाडोर जैसे देश भी हैं जहां इनको लीगल टेंडर दिया गया है.
कोरोना ने डाला आय पर असर
‘मूड ऑफ द नेशन’ की सर्वे रिपोर्ट में कोरोना से लोगों की आय पर पड़े असर का भी आकलन किया गया है. इसके हिसाब से जनवरी 2022 में देश की 64% जनता का मानना है कि कोरोना से उनकी आय गिरी है. जबकि अगस्त 2020 में ये आंकड़ा 85% था. इसी तरह 9% लोग मानते हैं कि कोरोना की अवधि में उनकी आय बढ़ी है, जबकि अगस्त 2020 में ऐसा सिर्फ एक प्रतिशत लोगों को लगता था.
कोरोना से निपटने में सरकार का काम बढ़िया
मोदी सरकार ने कोविड से निपटने के लिए पर्याप्त प्रयास किए या नहीं, इसे लेकर देश की 60% जनता ने सरकार में भरोसा जताया है. जबकि 31% लोगों को लगता है कि सरकार ने इसके लिए सही प्रयास नहीं किए. वहीं 9% लोगों ने इस बारे में अपनी कोई राय नहीं रखी है.
बढ़ गया लोगों की जेब का बोझ
सर्वे में महंगाई के असर और लोगों के जेब पर बढ़े बोझ को समझने का भी प्रयास किया गया. इसके हिसाब से 24% लोगों का मानना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल रोजमर्रा के खर्चे पूरे करने को लेकर उनकी जेब का बोझ बढ़ा है. जबकि 67% लोगों को अपने रोजाना के खर्चे पूरे करने में दिक्कत आ रही है. वहीं सिर्फ 8% लोगों का कहना है कि खर्च में कमी आई है.
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