मूनलाइटिंग (Moonlighting) यानी एक नौकरी करते हुए दूसरी जॉब करना या एक साथ दो कंपनियों के लिए काम करना. ये मुद्दा बीते कुछ समय से देश में गर्माया हुआ है. हाल ही में आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो (Wipro) में एक दो नहीं बल्कि करीब 300 कर्मचारी एक साथ दो नौकरी करते पाए गए थे, जिन्हें कंपनी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था. वहीं अब एक और आईटी कंपनी हैपिएस्ट माइंड्स टेक्नोलॉजीज (Happiest Minds) ने कुछ कर्मचारियों को ऐसा करने पर नौकरी से निकाला है.
एक साल में कई कर्मचारियों पर कार्रवाई
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आईटी सेक्टर की कंपनी हैपिएस्ट माइंड्स टेक्नोलॉजीज (Happiest Minds Technologies) ने मूनलाइटिंग के खिलाफ सख्त लहजे में कहा है, 'कर्मचारियों का एक साथ दो संस्थानों के लिए काम करना अस्वीकार्य है. यह नौकरी के अनुबंध का उल्लंघन करता है.'
कंपनी ने पिछले 6 से 12 महीनों में इस तरह की गतिविधियों में शामिल कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.
कंपनी ने नहीं बताई सटीक संख्या
हालांकि, कंपनी ने Moonlighting करते पकड़े जाने पर नौकरी से निकाले जाने वाले कर्मचारियों की सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया है. एक बयान में कंपनी ने कहा कि यह पॉलिसी बहुत प्रचलित नहीं है और जो कर्मचारी मूनलाइटिंग करते पाए गए हैं, उन्हें तत्काल नौकरी से बाहर कर दिया गया है.
हैप्पीएस्ट माइंड्स में 30 सितंबर 2022 तक काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या करीब 4,581 थी. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में हैपिएस्ट माइंड्स टेक्नोलॉजीज को 33.7 फीसदी का नेट प्रॉफिट हुआ है.
वाइस चेयरमैन बोले- मूनलाइटिंग मंजूर नहीं
मूनलाइटिंग को लेकर हैपिएस्ट माइंड्स के वाइस चेयरमैन जोसफ अनंतराजू (Joseph Anantharaju) का कहना है कि हम अपने कर्मचारियों के साथ इसे लेकर स्पष्ट हैं कि हम मूनलाइटिंग को स्वीकार नहीं करेंगे. जब आप अनुबंध या रोजगार प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करते हैं, तो आप केवल उस कंपनी के लिए काम करने के लिए सहमत होते हैं.
उन्होंने कहा, 'हमारे पास कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं और हमने उन्हें तुरंत नौकरी से निकाल दिया है. ये एक साफ संदेश है जिसे हमने कंपनी में देना जरूरी समझा है.’
विप्रो ने 300 कर्मचारी किए थे बाहर
गौरतलब है कि विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी (Wipro Chairman Rishad Premji) ने मूनलाइटिंग को लेकर अपने ट्वीट में इसे साफ धोखा करार दिया था. उनके इस पॉलिसी के खिलाफ होने के बाद भी उनकी ही कंपनी के 300 कर्मचारी मूनलाइटिंग कर रहे थे. इसका पता लगते ही कंपनी ने बिना देरी किए ऐसा कर रहे सभी कर्मचारियों को नौकरी ने निकाल दिया था.
सिर्फ विप्रो ही नहीं बल्कि टीसीएस (TCS) समेत कई बड़ी आईटी कंपनियां भी इस पॉलिसी के विरोध में आवाज बुलंद कर चुकी हैं.