देश में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा टैक्स मध्य प्रदेश सरकार ले रही है. इसी तरह डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स राजस्थान में है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स से पिछले वित्त वर्ष में करीब 3.35 लाख करोड़ रुपये हासिल किए हैं.
गौरतलब है कि कि केंद्र और राज्य सरकारों के भारी टैक्स की वजह से ही पेट्रोल-डीजल की कीमत काफी ज्यादा है. पेट्रोल कीमत में करीब 55 फीसदी और डीजल की कीमत में करीब 50 फीसदी हिस्सा टैक्स का ही होता है. इन टैक्सेज को घटाने की काफी समय से मांग की जा रही है, लेकिन अभी किसी राज्य ने खास कमी नहीं की है.
सरकार ने दी जानकारी
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि पेट्रोल पर सबसे ज्यादा टैक्स (सेल्स टैक्स या वैट) मध्य प्रदेश में और डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स राजस्थान में है.
इन टैक्स की वजह से ही मध्य प्रदेश और राजस्थान में पेट्रोल डीजल काफी महंगा है. दोनों राज्यों के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत काफी पहले 100 रुपये के आंकड़े को पार कर चुकी है. भोपाल में तो पेट्रोल 110 रुपये प्रति लीटर के आंकड़े को पार कर चुका है.
कितना है एमपी में टैक्स
पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल के मुताबिक मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर इस तरह से टैक्स लगता है- 33% VAT + 4.5 रुपये प्रति लीटर का निश्चित VAT+1% सेस. इसी तरह राजस्थान में डीजल पर इस तरह से टैक्स लगता है- 26% VAT+.1750 रुपये प्रति हजार लीटर सड़क विकास सेस.
कितनी हुई टैक्स से केंद्र की कमाई
हरदीप सिंह पुरी ने बताया, 'वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी/सेस से 1,01,598 करोड़ रुपये जुटाए, जबकि डीजल से 2,33,296 करोड़ रुपये हासिल हुए.'
16 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार दिल्ली में पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर का निश्चित एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क लेती है. दूसरी तरफ राज्य सरकारें ad valorem रेट के आधार पर वैट लेती हैं, इसका मतलब यह है कि रेट बढ़ने के मुताबिक उनका टैक्स बढ़ जाता है और रेट घटने पर उनका टैक्स घट जाता है.