कर्ज में डूबी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (Future Retail Limited) दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है. इस कंपनी के कारोबार को खरीदने के लिए अंबानी-अडानी समेत कई दिग्गज कारोबारी ग्रुप ने दावेदारी पेश की है. सोमवार को कंपनी ने 48 योग्य संभावित रिजॉल्यूशन आवेदकों की लिस्ट जारी कर दी है. लिस्ट में जेसी फ्लावर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज रिटेल ब्रॉन्च रिलायंस रिटेल, WH Smith के नाम शामिल हैं. फ्यूचर रिटेल की एसेट की बोली लगाने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) मंगाए गए थे. रिजॉल्यूशन आवेदकों की लिस्ट जारी होने के बाद माना जा रहा है कि दिवाला समाधान की प्रक्रिया अगले स्टेज में प्रवेश करेगी.
90 दिनों का मिला है वक्त
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने कंपनी की कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) को पूरा करने के लिए फ्यूचर रिटेल को और 90 दिनों का वक्त दिया है. NCLT की मुंबई बेंच ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की याचिका को मंजूर करते हुए समयसीमा को बढ़ाकर 15 जुलाई 2023 कर दिया है. शेयरों की ट्रेडिंग बंद हो चुकी है. NCLT ने पिछले साल 20 जुलाई को फ्यूचर रिटेल के खिलाफ इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसस शुरू किया था. कंपनी बैंकों के कर्ज को चुकाने में नाकाम रही थी.
दोबारा बेचने की कोशिश
इससे पहले फ्यूचर रिटेल ने बताया था कि उसे खरीदने के लिए 49 दिग्गज कारोबारी ग्रुप्स ने एक्सप्रेशंस ऑफ इंटरेस्ट (EOI) दाखिल किया है. कभी देश के ज्यादातर बड़े शहरों में इसकी रिटेल चेन बिग बाजार (Big Bazar) डंका बजता था, फिर इसके बुरे दिन शुरू हुए और ये फर्म दिवालिया हो गई है. कंपनी की नीलामी प्रक्रिया एक बार पहले भी शुरू हुई थी. लेकिन तब बात नहीं बन पाई थी. अब इसे एक बार फिर से बेचने की प्रक्रिया शुरू हुई है.
नहीं हो पाई रिलायंस के साथ डील
पिछले साल 2022 में फ्यूचर रिटेल और मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) के बीच सौदा लगभग पूरा होने वाला ही था, लेकिन अमेजन के विरोध के बाद डील खटाई में पड़ गई और रिलायंस ने हाथ पीछे खींच लिए. लेकिन अब फिर इसे दिवालिया कंपनी को खरीदने के लिए होड़ सी लग गई है. फ्यूचर ग्रुप कभी देश का दूसरा सबसे बड़ा रिटेलर फर्म था. बिग बाजार (Big Bazar) वाली कंपनी फ्यूचर रिटेल (Future Retail) पर अलग अलग क्रेडिटर्स के 21,000 करोड़ रुपये की देनदारी है.
अपना कर्ज चुकाने में विफल रही फ्यूचर रिटेल को इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है. ऐसे में इसे खरीदने के लिए सबसे आगे रिलायंस इंडस्ट्रीज आई थी. लेकिन कई उतार-चढ़ावों के बाद ये सौदा रद्द हो गया था. फ्यूचर रिटेल बैंक ऑफ इंडिया के 1441 करोड़ रुपये चुकाने में असफल रही थी. इसके बाद बैंक ने NCLT का दरवाजा खटखटाया था.