पिछले साल मार्च में जब एरिक्सन के बकाया चुकाने के मामले में अनिल अंबानी के जेल जाने की नौबत आ गई थी, तो ये खबर काफी चली थी कि उन्हें बड़े भाई मुकेश अंबानी ने 460 करोड़ देकर बचा लिया. लेकिन अब ये जानकारी सामने आई है कि मुकेश अंबानी ने यह पैसे देकर भाई पर कोई एहसान नहीं किया था. असल में मुकेश की एक कंपनी ने अनिल अंबानी के कई एसेट किराये पर लिये थे और यह पैसा उस किराये के लिए ही था.
पिछले साल मार्च में जब कोर्ट के आदेश के मुताबिक रिलायंस कम्युनिकेशंस को स्वीडिश कंपनी एरिक्सन (Ericsson) को 460 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने की नौबत आई तो अनिल अंबानी के सामने काफी संकट आया था. तब यह खबरें मीडिया में आईं कि बड़े भाई मुकेश अंबानी ने उन्हें बचा लिया है.
लंदन की कोर्ट में दी जानकारी
बिजनेस टुडे की खबर के अनुसार, अनिल अंबानी ने ब्रिटेन की कोर्ट में चीनी बैंकों से लोन विवाद में जो दस्तावेज पेश किये हैं, उसमें उन्होंने बताया है कि उन्होंने अपने ग्रुप के कई कॉरपोरेट एसेट मुकेश अंबानी की रिलायंस समूह की एक कंपनी को लीज पर दिये थे जिससे उन्हें करीब 460 करोड़ रुपये मिले और इससे एरिक्सन का बकाया चुकाया गया.
अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने भी किया स्वीकार
अनिल अंबानी के एक प्रवक्ता ने BusinessToday.In के एक सवाल के जवाब में कहा, 'एरिक्सन मामले में फंड की जरूरत कुछ कॉरपोरेट एसेट को लीज पर देकर पूरी की गई थी. मुकेश अंबानी ने व्यक्तिगत रूप से अनिल अंबानी को न तो कोई फंड दिया है और न ही कोई उपहार.'
हालांकि यह नहीं बताया गया है कि अनिल अंबानी समूह ने कौन से एसेट लीज पर दिये हैं. मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह को इस बारे में भेजे गये ई-मेल का कोई जवाब नहीं मिला है.
मुकेश के प्रति आभार जताया था
गौरतलब है कि मार्च 2019 में एरिक्सन के बकाया मामले में अनिल अंबानी के जेल जाने की नौबत आ गई थी. तब 18 मार्च को रिलायंस कम्युनिकेशंस ने एक बयान जारी कर कहा था कि उसने स्वीडिश कंपनी एरिक्सन का बकाया चुका दिया है. इस बयान में अनिल अंबानी ने अपने भाई मुकेश अंबानी और भाभी नीता अंबानी को इस बात के लिए धन्यवाद भी दिया था कि ऐसे संकट के मौके पर वे उनके साथ खड़े रहे.