भारत में पिछले कुछ वर्षों में एक बड़ा बदलाव देखा गया है. एक तरफ मेक इन इंडिया (Make in India) की मुहिम के तहत बहुत सारी चीजें अब भारत में ही बनती है. वहीं दूसरी तरफ स्टार्टअप (Startup) का चलन भी काफी तेजी से बढ़ा है.
दरअसल, देश में छोटे-छोटे स्टार्टअप की संख्या तेजी से बढ़ी है और इससे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. सरकार भी स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव मदद कर रही है.
कामयाबी की बुलंदियों पर पाटिल काकी
यही नहीं, बीते कुछ सालों में स्टार्टअप से देश में कई लोगों के सपने पूरे हुए हैं. कुछ लोगों ने अपने शौक को ही अपना रोजगार का रूप दिया और आज कामयाबी की बुलंदी पर हैं. ऐसे ही मुंबई में रहने वाले गीता पाटिल ने भी अपने खाना बनाने के शौक को एक बड़े व्यापार में तब्दील किया है.
साल 2016 में गीता पाटिल ने अपना खुद का एक छोटा स्टार्टअप शुरू किया था, जिसमें वो पारंपरिक महाराष्ट्रीयन स्नैक्स और मिठाइयां घर से बेचती थीं.
गीता पाटिल को खाना पकाने का शौक अपनी मां से विरासत में मिला. लेकिन इस शौक को उन्होंने एक बड़े व्यापार में तब्दील कर दिया. इस व्यापार शुरुआत उन्होंने साल 2016 में की थी. जब उनके पति की नौकरी चली गई थी, उस समय घर चलना मुश्किल हो रहा था और तब गीता पाटिल ने अपना घर चलाने के लिए पारंपरिक महाराष्ट्रीयन स्नैक्स और मिठाइयां बनाने का स्टार्टअप शुरू किया. और इसका नाम दिया 'पाटिल काकी'.
अब करोड़ों में कमाई
साल 2016 में गीता पाटिल ने कम से कम निवेश के साथ घर के बने पारंपरिक स्नैक्स जैसे मोदक, पूरनपोली, चकली, पोहा, चिवड़ा वगैरह बनाकर कारोबार की शुरुआत की. लेकिन यह जल्द ही सफल स्टार्टअप बन गया, पाटिल काकी शुरू के दिनों में हर महीने 12000 रुपये की कमाई करती थीं. लेकिन अब यह व्यापार बढ़कर सालाना से करीब 1.4 करोड़ रुपये हो गया है.
पाटिल काकी ने अपने सपने पूरे करने के साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दिया है. आज उनके साथ 25 महिलाएं काम करती हैं. पाटिल काकी के साथ जुड़ीं महिलाओं के पति और बच्चे में रोजगार में उनके हाथ बंटाते हैं.
आप इसे बिजनेस स्कूलों में नहीं सीख सकते
गौरतलब है कि पिछले दिनों उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने पाटिल काकी का एक वीडियो एक शेयर किया था, और तारीफ की थी. उन्होंने लिखा था कि यही बिजनेस है, जिसे आप स्कूलों में नहीं सीख सकते हैं.