पिछले कुछ दिनों में Edible Oil के रेट में तेजी देखने को मिली थी. इसमें नरमी लाने के लिए सरकार ने शनिवार को एक बड़ा फैसला किया. इसके लिए केंद्र सरकार ने शनिवार को क्रूड पाम ऑयल के इम्पोर्ट पर लगने वाले इफेक्टिव शुल्क को घटा दिया है. इससे कुकिंग ऑयल के दाम में कमी लाने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही देश की ऑयल प्रोसेसिंग कंपनियों को भी एक तरह का सपोर्ट मिलेगा. आइए जानते हैं कि सरकार ने पाम ऑयल (Palm Oil) के इम्पोर्ट पर लगने वाले इफेक्टिव शुल्क (Effective Import Duty on Palm Oil) में कितनी कमी की है.
सरकार ने उठाए ये कदम
केंद्र सरकार ने शनिवार को क्रूड पाम ऑयल पर इफेक्टिव इम्पोर्ट ड्युटी को 8.25 फीसदी से घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया. क्रूड पाम ऑयल पर बेसिक कस्टम ड्युटी पहले से Nil है और अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर एग्री इन्फ्रा डेवलपमेंट सेस को 7.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. यह बदलाव 13 फरवरी, 2022 से प्रभावी हो गया है. एग्री डेवलपमेंट सेस और सोशल वेलफेयर सेस में इस कमी के बाद क्रूड पाम ऑयल पर इफेक्टिव इम्पोर्ट ड्युटी 8.25 फीसदी से घटकर 5.5 फीसदी पर आ गया है.
इस डेट तक लागू रहेगा ड्युटी में कमी का फैसला
सीबीआईसी (CBIC) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर क्रूड पाम ऑयल और अन्य क्रूड ऑयल पर इम्पोर्ट ड्युटी में की गई कमी की मियाद को और छह महीने तक बढ़ा दिया. इस तरह ड्युटी में की गई कमी 30 सितंबर तक लागू रहेगी. इंडस्ट्री बॉडी SEA क्रूड पाम ऑयल और रिफाइंड पाम आयल पर लगने वाले इफेक्टिव ड्युटी के अंतर को 11 परसेंट प्वाइंट पर रखने की मांग करती रही है. इसकी वजह यह है कि रिफाइंड ऑयल के ज्यादा इम्पोर्ट से घरेलू रिफाइनरियों पर असर देखने को मिलता है. रिफाइंड पाम ऑयल पर इफेक्टिव इम्पोर्ट ड्युटी 13.75 फीसदी है.
सरकार ने कई मौकों पर किए हैं उपाय
पिछले साल Edible Oils की कीमतें लगातार काफी ऊपर रहीं. इस वजह से सरकार ने विभिन्न मौकों पर पाम ऑयल पर इम्पोर्ट ड्युटी में कमी की. इससे घरेलू स्तर पर तेलों की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिली.
SEA ने किया फैसले का स्वागत
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी बी मेहता ने कहा कि सरकार ने क्रूड पाम ऑयल पर एग्री सेस को 7.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह स्वागत योग्य फैसला है लेकिन घरेलू रिफाइनरियों को सपोर्ट देने के लिए काफी नहीं है. मेहता ने कहा कि SEA ने ड्युटी में कम-से-कम 11 परसेंट प्वाइंट्स का अंतर रखने का आग्रह किया है. इससे घरेलू रिफाइनरियों को किफायती तरीके से ऑपरेट करने में मदद मिलेगी.