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NSE Scam: हर फैसला योगी से पूछकर, CEO चित्रा कहती थीं- वो कहीं भी प्रकट हो सकते हैं

जिस शेयर बाजार में रोजाना करोड़ों ट्रांजेक्शन होते हैं और जिसका डेली टर्नओवर 64 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है, उसकी कमान कई साल तक एक ऐसे योगी के पास थी, जिसे किसी ने कभी देखा नहीं. इस तरह एनएसई के नियमों को ताक पर रखकर पैसों की हेराफेरी का खेल हो रहा था. सेबी को जांच में क्या मिला, इस स्टोरी में जानिए...

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एनएसई में चल रहा था आर्थिक घपला
एनएसई में चल रहा था आर्थिक घपला
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देश के सबसे बड़े शेयर बाजार का फिल्मी खेल
  • योगी की दक्षिणा के लिए उड़ी नियमों की धज्जियां

देश के सबसे बड़े शेयर बाजार एनएसई (NSE) में कुछ साल पहले हुए फर्जीवाड़े पर हाल ही में सेबी का ऑर्डर (SEBI Order) आया है. इसमें ऐसी-ऐसी जानकारियां सामने आई हैं, जिसे जानकर हर कोई हैरान है. यहां तक कि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) इस मसले पर सरकार से व्हाइट पेपर (White Paper) लाने की मांग कर चुकी है. सेबी के 190 पन्नों के ऑर्डर को खंगालने पर कई गंभीर बातों का पता चलता है. एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramkrishna) अपने सबमिशन में बताती है कि वह जिस अज्ञात योगी (Faceless Yogi) से पूछकर सारे फैसले ले रही थी, वह कोई आम इंसान न होकर दैवीय शक्ति है. चित्रा यहां तक दावा करती है कि रहस्यमयी योगी बिना शरीर का है और वह कहीं भी कभी भी प्रकट हो सकता है.

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योगी के इशारे पर चल रहा था एनएसई

यह वाकया 2013 से 2016 के दौरान का है, जब चित्रा रामकृष्णा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) की सीईओ थीं. इन 3-4 सालों के दौरान एनएसई में ऐसी गड़बड़ियां हुईं, जो हकीकत कम और नाटकीय ज्यादा लगती हैं. चित्रा न सिर्फ योगी के कहने पर बिना योग्यता वाले लोगों को हाई लेवल के पद पर बिठा रही थी, बल्कि वह सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े सारे फैसले उसी से पूछकर ले रही थी. इसकी शिकायत मिलने के बाद बाजार नियामक ने जांच शुरू की और इसे पूरा करने में 6 साल लग गए. लंबी जांच के बाद अंतत: पिछले सप्ताह शुक्रवार को सेबी ने 190 पन्नों का ऑर्डर जारी किया.

चित्रा को यकीन, योगी के पास नहीं है अपना शरीर

सेबी के ऑर्डर के 54वें पन्ने पर अज्ञात योगी और चित्रा के बीच ईमेल के जरिए हुई बातचीत का जिक्र है. इसके अलावा चित्रा ने इस बारे में सेबी के सामने जो स्टेटमेंट दिया, उसका भी जिक्र आया है. बकौल सेबी ऑर्डर, चित्रा अपने स्टेटमेंट में अज्ञात योगी को सिद्ध पुरुष (Siddha Purusha) और परमहंस (Paramhansa) मानती है. उस योगी के पास अपना कोई शरीर नहीं है और उसकी आत्मा हिमालय में विचरण करती है. चित्रा यह भी कहती है कि योगी एक आध्यात्मिक शक्ति है, जिससे उसे पिछले 20 सालों से गाइडेंस मिल रहा है. उसने सेबी को ये भी बताया कि अज्ञात योगी जब मन चाहे कहीं भी प्रकट हो सकता है.

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सेबी ने पकड़ा पैसों का हेरफेर

सेबी को इस पूरे प्रकरण में पैसों के घपले का खेल भी पता चला है. इस विवाद की जड़ में आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramnian) नामक व्यक्ति को एनएसई में बहाल करना है. आनंद को 2013 में एनएसई में चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर (CSO) के पद पर बहाल किया गया था. इससे पहले एनएसई में ऐसा कोई पद होता ही नहीं था. आनंद को यह नौकरी भी अज्ञात योगी के कहने पर दी गई थी. आनंद इससे पहले सरकारी कंपनी Balmer Lawrie में 15 लाख की सैलरी पर नौकरी कर रहा था. एनएसई में उसे 9 गुना से भी ज्यादा बढ़ाकर 1.38 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया. एनएसई के तत्कालीन चीफ पीपुल ऑफिसर (CPO) चंद्रशेखर मुखर्जी (Chandrashekhar Mukherjee) ने सेबी को इस बारे में बताया कि उन्होंने 20 फीसदी इंक्रीमेंट ही पास किया था. इस तरह आनंद को नौकरी देने में एनएसई के नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं.

दक्षिणा के लिए नियम तोड़ बढ़ाई गई सैलरी

आनंद को 2013 में नौकरी दिए जाने के बाद उसे लगातार प्रमोशन (Promotion) मिला और कुछ ही समय में वह एनएसई में नंबर 2 की हैसियत पर पहुंच गया. उसकी सैलरी भी बढ़ाई गई और देखते-देखते वह एनएसई का ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) बन गया. उसका केबिन भी तत्कालीन सीईओ चित्रा के बगल में तैयार किया गया. इस बारे में सेबी को योगी और चित्रा के बीच ईमेल से हुई बातचीत से कई चीजें पता चलीं. ऑर्डर के अनुसार, योगी ने चित्रा को कहा था कि वह आनंद की सैलरी बढ़ाए. आनंद अपनी सैलरी का एक हिस्सा योगी को हर महीने दक्षिणा (Gratitude) के रूप में देता था. इसी दक्षिणा के लिए नियमों को ताक पर रखकर आनंद की सैलरी लगातार बढ़ाई गई.

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